लॉकडाउन में फीस बढ़ाने के मामले में कोलकाता के 150 प्राइवेट स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इन स्कूलों ने कोलकाता के हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अर्जी दी है जिसमें हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान फीस बढ़ाने पर रोक लगाई थी.
स्कूलों का तर्क है कि टीचर्स और स्टाफ की सैलरी के अलावा अन्य मदों पर खर्च के लिए उनके लिए फीस बढ़ाना उनकी मजबूरी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति दी जाए. स्कूलों ने ये तर्क भी दिया है कि वेतन वृद्धि के लिए और वेतन का भुगतान करने के लिए ये बहुत जरूरी है कि उनके पास फंड हो. वहीं ऑनलाइन कक्षाओं के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे में वृद्धि के लिए भी पैसे की जरूरत है. फिलहाल SC ने मामले को जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है. अभी स्कूलों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है.
बता दें कि हाल ही में पांच नवंबर को राजस्थान के सभी निजी स्कूलों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी. हड़ताल का कारण स्कूल फीस के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी नया निर्देश बताया जा रहा है. हालांकि राज्य सरकार से बातचीत के बाद उन्होंने राजभवन कूच का फैसला वापस ले लिया था.
बता दें कि फोरम का कहना है कि पिछले सात महीनों से स्कूलों और पैरेंट्स के बीच फीस को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. धीरे धीरे अब ये मामला गंभीर हो गया है. निजी स्कूल गंभीर आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. अब स्कूलों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. फंड की कमी के कारण कई स्कूल बंद होने की स्थिति में आ चुके हैं.
स्कूल अब कर्मचारियों-टीचरों की पगार तक का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में प्राइवेट स्कूल्स फोरम ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुजारिश की है कि वह इस मुश्किल समय में उनका साथ दें.
साथ ही 9 सितंबर 2020 को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश को अमल कराने की बात भी स्कूल कह रहे हैं, ताकि पैरेंट्स दिवाली से पहले फीस जमा करने को लेकर स्पष्ट रहें. स्कूल कह रहे हैं कि सरकार अगर अभिभावकों को लेकर चिंतित है तो कम से कम निजी स्कूलों को रिलीफ फंड दे.
बता दें कि राजस्थान की ही तर्ज पर गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों में भी फीस को लेकर सरकार के फैसलों से निजी स्कूल काफी नाराज हैं. कोरोना काल में फीस को लेकर कई राज्य सरकारों ने स्कूलों से स्पष्ट कहा था कि वो फीस की मद न बढ़ा सकते हैं, और न ही किसी अन्य मद में फीस ले सकते हैं. इसके अलावा स्कूलों से फीस में कटौती के लिए भी सरकारें लगातार कह रही हैं.
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