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पिछला पढ़ा भूल रहे, नई स्किल सीखने का मौका खोया, जानें लॉकडाउन का बच्चों पर कैसा असर पड़ा

स्‍कूल किसी बच्‍चे के जीवन में पहले 8 हजार दिनों में पोषण और स्‍वास्‍थ्‍य निर्धारित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है. UNESCO का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत के बाद से, 50 देशों के लगभग 370 मिलियन बच्चों को स्कूल का भोजन नहीं मिला है.

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School Shutdown in India:
School Shutdown in India:

महामारी के कारण लगे लॉकडाउन का एक वर्ष पूरा हो गया है और अब COVID 19 पर भारत के टास्क फोर्स की रिपार्ट आई है. रिपोर्ट ने यह बताया है कि लॉकडाउन के कारण स्‍कूल बंद रहने से छात्रों की फिजिकल और मेंटल हेल्‍थ पर बुरा असर पड़ा है जबकि इसके और भी बुरे परिणाम बच्‍चों पर पड़े हैं. 

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डिजिटल इंडिया में बढ़ा गैप
टास्‍क फोर्स ने माना कि ई-लर्निंग की सुविधा हर किसी के लिए नहीं है. देशभर में कुल 24 प्रतिशत परिवारों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है. शहरी इलाकों में जहां 42 प्रतिशत घरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है वहीं ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा केवल 15 प्रतिशत है. गरीब परिवारों में केवल 2.7 प्रतिशत घरों में ही कम्‍प्‍यूटर और इंटरनेट दोनों की सुविधा है.

लर्निंग स्किल्स का नुकसान
UNESCO के अनुसार, “बाधित पढ़ाई” स्‍कूल बंद होने का सबसे बुरा परिणाम है. भारत में, 92 प्रतिशत प्राइमरी स्‍कूल स्‍टूडेंट्स ने कम से कम एक लैंग्‍वेज स्किल सीखने का मौका खोया है जबकि औसतन 82 प्रतिशत बच्‍चों ने कम से कम एक मैथमेटिक्‍स स्किल सीखने का मौका गंवा दिया है. कम उम्र के बच्‍चे पढ़ाई में आए गैप के कारण पिछला पढ़ा हुआ भूल रहे हैं. भारत जैसे देश में स्किल लर्निंग का नुकसान बच्‍चों के लिए काफी बड़ा नुकसान है जिसकी भरपाई काफी मुश्किल होगी.

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पोषण में कमी

स्‍कूल बंद होने से बच्‍चों की फिजिकल हेल्‍थ और फूड सिक्‍योरिटी पर बुरा असर पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, स्‍कूल किसी बच्‍चे के जीवन में पहले 8 हजार दिनों में पोषण और स्‍वास्‍थ्‍य निर्धारित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है. UNESCO का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत के बाद से, 50 देशों के लगभग 370 मिलियन बच्चों को स्कूल का भोजन नहीं मिला है. दुनिया भर के बच्चों द्वारा स्कूल में मिलने वाली 10 में से औसतन 4 मील छूट गई हैं, जबकि कुछ देशों में यह संख्या बढ़कर 10 में से 9 हो गई है. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त स्‍कूल मील प्रोग्राम चलता है और ऐसे में भारत में लॉकडाउन के समय में कुपोषण का खतरा बढ़ा है.

मेंटल हेल्‍थ और सुरक्षा

एक स्‍ट्रक्‍चर्ड स्‍कूल रूटीन के अभाव में बच्‍चों का सिर्फ दैनिक जीवन प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि उनमें आइसोलेशन, बीमारी का डर, शारीरिक हानि और सोशल, इंटेलेक्‍चुअल डिस्‍टेंसिंग की आशंका और चिंता भी बढ़ी है. रिपोर्ट ने यह कहा कि लॉकडाउन ने ग्रामीण इलाकों के, प्रवासी मजदूरों के और सड़कों पर रहने वाले बच्‍चों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. ताजा जानकारी के अनुसार, चिल्‍ड्रेन हेल्‍पलाइन नंबर पर आने वाले कॉल्‍स की गिनती 50 प्रतिशत बढ़ गई है. लॉकडाउन के कारण हुई आजीविका की कमी ने बच्‍चों को गैरकानूनी और जानलेवा काम करने भी मजबूर किया है. 

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