हर गरीब का बच्चा अच्छे स्कूल में पहुंचे, अच्छी पढ़ाई करे, पढ़ लिखकर अपने मां-बाप की मुश्किलें दूर करे, उनका जीवन बेहतर बनाए, इसके लिए सरकार ने राइट टू एजुकेशन (Right to Education) का नियम बनाया था. इसके तहत गरीब बच्चों को शहर के महंगे प्राइवेट स्कूल में एडमिशन मिलता है और फिर फ्री में उसकी पढ़ाई होती है. RTE के तहत एडमिशन लेने की सबसे बड़ी शर्त यह है कि बच्चे के पिता की आय साल में 1 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसके लिए हर माता-पिता को एडमिशन के वक्त बच्चे के डॉक्यूमेंट के साथ अपना इनकम सर्टिफिकेट भी लगाना पड़ता है लेकिन अब गरीब के बच्चे की सीट में भी कुछ लोगों ने फर्जीवाड़ा करना शुरू कर दिया है.
नोएडा के कई स्कूलों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को ये शिकायत की है कि उनके स्कूल में कुछ ऐसे पैरंट्स के बच्चे RTE के तहत एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रहे हैं जिनके बैंक अकाउंट में अच्छी खासी रकम है. इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सालाना 5 से लेकर 10 लाख तक का ITR रिटर्न फाइल कर रखा है.
स्कूल की शिकायत पर जांच शुरू
गौतमबुद्धनगर की बेसिक शिक्षा अधिकारी एश्वर्या लक्ष्मी बताती हैं कि उनको कुछ स्कूलों ने शिकायत की है कि उनके यहां पढ़ने वाले कई बच्चों के पेरेंट्स के बैंक अकाउंट में अच्छी खासी रकम है. वहीं कई पैरेंट्स ने 5-10 लाख रुपए का आईटीआर भी फाइल किया है. स्कूल ने शिकायत के साथ कुछ बैंक पेपर भी दिए हैं. सभी चीजों की जांच की जा रही है.
महीने में लाखों का ट्रांजेक्शन
बताया जा रहा है कि एक स्कूल ने शिकायत कर बताया कि उनके यहां आरटीई के तहत दाखिला पाए बच्चे के पिता का आईटीआर 4 लाख 96 हजार रुपए है. एक दूसरे स्कूल ने बताया कि उनके स्कूल में आरटीई के तहत एडमिशन लेकर पढ़ाई करने वाले एक बच्चे के पिता का आईटीआर 10 लाख रुपए से ज्यादा का है.
इसी तरह एक और स्कूल ने पाया कि उनके यहां आरटीई के तहत फ्री में शिक्षा लेने वाले बच्चे के पिता के अकाउंट में 1 महीने में 25-25 हजार की रकम 4 बार आती है. मतलब उनके महीने की कमाई एक लाख है, जबकि आरटीई का नियम है कि अभिभावक की सलाना आय एक लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. BSA को अब तक ऐसे 15 अभिभावकों की शिकायत मिल चुकी है.
गरीब अपने बच्चें के एडमिशन के लिए परेशान
एक तरफ तो गरीब के बच्चे की सीट पर पैसे वालों के बच्चे बैठ कर आराम से फ्री में पढ़ाई कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई गरीब अभिभावक बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर दौड़ लगा रहे हैं. इन गरीबों के बच्चों का नाम आरटीई के लिस्ट में आ तो गया, लेकिन स्कूल एडमिशन लेने को तैयार नहीं है.
बीएसए के दफ्तर से लगभग 12 किलोमीटर दूर कासना से एक दिव्यांग महिला अपने बच्चे के साथ यहां पहुंची हैं. वह बताती हैं कि उनके पति एक कंपनी में लेबर हैं. बच्चे का नाम लिस्ट में आ गया है लेकिन फिर भी स्कूल एडमिशन लेने में आनाकानी कर रहा है. स्कूल की शिकायत लेकर हम बार-बार बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास दौड़ लगा रहे हैं.
पूरे गौतमबुध नगर में इस साल 5000 से ज्यादा बच्चों की एप्लीकेशन आरटीई के तहत आए हैं इनमें से 500 से 700 एप्लीकेशन रद्द कर दिए गए, जबकि बाकी बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया चालू है. हालांकि अब ऐसे फ्रॉड पैरेंट्स की जांच की बात तो कही जा रही है, लेकिन जरूरी है कि कार्रवाई उन पर भी हो जो फर्जी इनकम सर्टिफिकेट बनवाने का रैकेट चलाते हैं.