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सीताराम येचुरी का वो सपना जो अधूरा रह गया... पढ़ें- CPM महासचिव के छात्र जीवन का किस्सा

सीताराम येचुरी का पीएचडी का सपना अधूरा रह गया. इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. येचुरी ने अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए दाखिला लिया था लेकिन ये पूरी नहीं हो सकी.

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Sitaram Yechury
Sitaram Yechury

CPM के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया. येचुरी को 19 अगस्त को निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी. वह सांस संबंधी बीमारी से भी जूझ रहे थे. उन्हें नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में रेस्पिरेटरी सपोर्ट पर रखा गया था. अब 12 सितंबर को उनका निधन हो गया.

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सीताराम येचुरी भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में एक महत्वपूर्ण नाम थे. राजनीति के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र से भी उनका खासा लगाव था.

सीताराम येचुरी की पढ़ाई-लिखाई

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था लेकिन उनकी बचपन की यादें हैदराबाद से जुड़ी हुई हैं. सीताराम येचुरी ने अपनी 10वीं की पढ़ाई हैदराबाद के ऑल सेंट्स से पूरी की थी. इसके बाद 1969 के तेलंगाना आंदोलन के लिए दिल्ली आए. यहां भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा. दिल्ली आने के बाद उन्होंने दिल्ली के प्रेसिडेंट एस्टेट स्कूल में एडमिशन लिया. येचुरी ने सीबीएसई बोर्ड से पढ़ाई की हुई है. उन्होंने इसी बोर्ड से पढ़ाई करके कक्षा 12वीं में ऑल इंडिया रैंक वन हासिल की थी.

इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में येचुरी ने दाखिला लिया. यहां वे अर्थशास्त्र के छात्र हैं. सेंट स्टीफेंस से उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की थी.

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फिर JNU में लिया एडमिशन

ग्रेजुएशन के बाद सीताराम येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) जाने का सोचा. उन्होंने यहां अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री ली. जेएनयू से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सीताराम येचुरी ने अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए दाखिला लिया.

येचुरी ने 1974 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़कर छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. 1975 में लागू हुए आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी हो गई. इस घटना ने उनके अकादमिक करियर को बाधित कर दिया और उनकी पीएचडी की पढ़ाई अधूरी रह गई. इसके चलते, उनका 'डॉक्टर' बनने का सपना पूरा नहीं हो सका.

राजनीतिक सफर में उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. इस वजह से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हुई और उनका पीएचडी का सपना अधूरा रह गया. राजनीति में व्यस्त रहने के कारण वह अपनी पढा़ई भी पूरी नहीं कर पाए. उनका सपना था कि उनके नाम के आगे भी डॉक्टरेट लगे, लेकिन उनकी यह ख्वाहिश अधूरी रह गई. बाद में वह राजनीति के प्रति पूरी तरह सर्मपित हो गए.
 

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