झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर राज्य के सरकारी विद्यालयों में 'सीटी बजाओ - स्कूल बुलाओ' अभियान चलाया गया. इस अभियान का उद्देश्य ड्रॉपआउट बच्चों को विद्यालय वापस लाना है. राज्य के सरकारी विद्यालय भी अब निजी विद्यालयों से कम नहीं हैं. बात शिक्षा की गुणवत्ता की हो या फिर जरूरी संसाधनों की, हाल के वर्षों मे इसपर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा काफी फोकस किया गया है.
दरअसल, शिक्षा की गुणवत्ता को और सुधारने के लिए झारखंड सरकार कई कदम उठाए हैं. बावजूद इसके, यह कड़वी सच्चाई है कि अपेक्षित रूप से न ही विद्यालयों मे छात्रों की संख्या बढ़ी है, और न ही ड्रॉपआउट रुके हैं. इसी को ध्यान मे रखते हुए झारखंड सरकार की स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने आज 'सीटी बजाओ - स्कूल बुलाओ' अभियान चलाया.
स्कूली शिक्षा सचिव रवि कुमार के निर्देशानुसार 11 जनवरी को सुबह 8:30 बजे से 9:30 तक पूरे झारखंड में 'सीटी बजाओ - स्कूल बुलाओ' अभियान चलाया गया. इस दौरान बच्चों ने पंक्तिबद्ध होकर सीटी बजाते विद्यालय के नजदीकी मोहल्लों का भ्रमण किया और छात्रों व उनके अभिभावकों को इस दिशा मे जागरूक करने की कोशिश की.
झारखंड में सरकारी स्कूलों के बच्चों का ड्रॉपआउट चिंता का विषय है. पिछले कुछ वर्षों में 10वीं और 12वीं के छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक गढ़वा में सबसे ज्यादा 21 प्रतिशत 12वीं के छात्र-छात्राओं ने स्कूल आना छोड़ दिया है, गुमला में 16%, सिमडेगा-साहिबगंड में 15-15%, खुंटी में 14% और पश्चिमी सिंहभूम-लोहरदगा में 13-13 प्रतिशत ड्रॉआउट रेट दर्ज किया गया है. शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसके पीछे के कारण जानने का निर्देश दिया है.