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कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित लोगों को अनुमति प्रदान करें, सुप्रीम कोर्ट का FTII को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्थान में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित किसी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं दिखाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि फिल्म निर्माण और संपादन, कला का एक रूप है अपने आप में एक संस्थान है.

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सुप्रीम कोर्ट
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • आशुतोष कुमार की अपील पर SC का आदेश
  • 'प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए'

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे को निर्देश दिया कि वह कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित लोगों को फिल्म मेकिंग और एडिटिंग से जुड़े सभी कोर्स करने के लिए अनुमति प्रदान करे.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्थान में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित किसी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं दिखाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि फिल्म निर्माण और संपादन, कला का एक रूप है अपने आप में एक संस्थान है.

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामलों में अधिक समावेशी और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अन्य फिल्म और टेलीविजन संस्थानों को भी कलर ब्लाइंड छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोलने चाहिए.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पटना निवासी आशुतोष कुमार द्वारा दायर एक अपील पर आया, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. इसमें एफटीआईआई में फिल्म संपादन में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश की मांग करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.

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