scorecardresearch
 

'हाई स्‍कोर एकमात्र योग्‍यता मानदंड नहीं, सामाजिक न्‍याय के लिए आरक्षण जरूरी', NEET मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

SC Verdict on NEET: कोर्ट ने कहा कि उच्च स्कोर योग्यता के लिए एकमात्र मानदंड नहीं है. सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के संबंध में योग्यता को प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है. पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. अदालत ने पहले के फैसलों में यह नहीं माना है कि AIQ सीटों पर आरक्षण वर्जित है.

Advertisement
X
Supreme Court on NEET Quota:
Supreme Court on NEET Quota:
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'NEET में OBC आरक्षण देने का केंद्र का फैसला सही'
  • SC से केंद्र और OBC उम्मीदवारों को राहत

SC on NEET Quota: सुप्रीम कोर्ट ने NEET PG एडमिशन में OBC आरक्षण की अनुमति देने के कारण बताते हुए अपना फैसला जारी किया है. शीर्ष अदालत द्वारा EWS आरक्षण पर रोक क्यों नहीं लगाई गई, इसका कारण भी कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है. SC का कहना है कि NEET PG और UG प्रवेश के लिए ऑल इंडिया कोटे में OBC आरक्षण मान्य है. अनुच्छेद 15(4) और 15(5) हर देशवासी को मौलिक समानता देते हैं. प्रतियोगी परीक्षाएं उत्कृष्टता, व्यक्तियों की क्षमताओं को नहीं दर्शाती हैं. ऐसे में कुछ वर्गों को मिलने वाले सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को प्रतिबिंबित नहीं किया जा सकता.

Advertisement

कोर्ट ने कहा कि उच्च स्कोर योग्यता के लिए एकमात्र मानदंड नहीं है. सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के संबंध में योग्यता को प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है. पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. अदालत ने पहले के फैसलों में यह नहीं माना है कि AIQ सीटों पर आरक्षण वर्जित है. AIQ सीटों में आरक्षण प्रदान करने से पहले केंद्र को इस अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी.

SC ने स्पष्ट किया है कि पहले के फैसलों ने UG और PG एडमिशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि चूंकि आरक्षण और सीटों की संख्या की जानकारी परीक्षा होने के बाद तक नहीं की जाती है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि सीटों के गोलपोस्ट को बदल दिया गया है. इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप से इस वर्ष के लिए प्रवेश में देरी होती इसलिए 2021-22 बैच के लिए रेंज क्राइटेरिया पर कोई रोक नहीं है.

Advertisement

EWS आरक्षण की वैधता और पात्रता की स्थिति के मुद्दे पर मार्च के तीसरे सप्ताह में अदालत सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा, "हम अभी भी एक महामारी के बीच में हैं. डॉक्टरों की भर्ती में देरी से स्थिति प्रभावित होती. आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है, लेकिन सामाजिक न्याय के लिए यह जरूरी है. 1984 में प्रदीप जैन के फैसले को यह नहीं पढ़ा जा सकता कि AIQ सीटों पर कोई आरक्षण संभव नहीं है.''

Advertisement
Advertisement