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सरकारी स्कूल की खराब हालत गिनाते हुए ग्राम सभा में प्रिंसिपल का फूटा गुस्सा, वीडियो वायरल

सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल में 500 मीटर तक वायरिंग की जानी है और जो भी तार बिछाया गया है वह छह महीने से अधिक नहीं टिकता है जिससे 'अर्थिंग' होती है और बच्चों की सुरक्षा का डर बना रहता है. उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं को दूर करने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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स्कूल की खराब हालत पर ग्राम सभा में बात करती प्रिंसिपल की तस्वीर
स्कूल की खराब हालत पर ग्राम सभा में बात करती प्रिंसिपल की तस्वीर

सरकारी स्कूलों के हालात को देखते हुए बहुत से मां-बात अपने बच्चे का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में करा देते हैं. लेकिन उन गरीब परिवारों का क्या जो आर्थिक तंगी या सरकारी स्कूलों पर भरोसा करके अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए भेज देते हैं. इसी मुद्दे को लेकर सरकारी स्कूल प्रिंसिपल के सब्र का बांध ग्राम सभा में टूट गया. प्रिंसिपल ने न सिर्फ स्कूल के खराब हालात गिनाए बल्कि इसे सुधार पाने में सक्षम अधिकारी ब्लॉक डेवलेपमेंट ऑफिसर (BDO) की अनदेखी का जिक्र भी किया.

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दरअसल, पूरा मामला तमिलनाडु, कृष्णागिरि के माथुर के एक गांव सलामराथुपट्टी में स्थित सरकारी स्कूल का है. जहां ग्राम सभा में स्कूल प्रिंसिपल से स्कूल के खराब हालात पर सवाल पूछे गए थे. इसपर ओलाईपट्टी के सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल शक्ति ने जो भी बताया वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उन्होंने कहा कि 95 छात्र उस स्कूल में पढ़ रहे हैं जिसमें बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जिन्हें दूर करने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है और उसका भी कोई फायदा नहीं हो रहा. एक 60 साल पुरानी बिल्डिंग को गिरा दिया गया है, एलकेजी से तीसरी क्लास तक एक ही कमरे में लगती हैं, जबकि चौथी और पांचवी क्लास के लिए एक कमरा है. उन्होंने दावा किया कि 6वीं से 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए कमरा ही नहीं है.

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प्रिंसिपल ने कहा, 'मैं लगातार ग्राम सभा की बैठकों में इसका जिक्र कर रही हूं. हमें बिल्डिंग, बाथरूम, कंपाउंड और ग्राउंड चाहिए. माता-पिता भी अपने बच्चों को अच्छी बिल्डिंग वाले स्कूल में भेजना चाहते हैं.' उन्होंने कहा 'इस स्कूल में 8वीं क्लास तक के छात्र पढ़ रहे हैं जिसका मतलब है वे 13 साल तक के होंगे और उन्हें अच्छा खेलना चाहिए, जो उनके विकास में मदद करेगा और बीमारियों से मुक्त रखेगा. लेकिन दुर्भाग्य से हमारे स्कूलों में ऐसा कुछ नहीं है.'  यह बताते हुए प्रिंसिपल का गुस्सा फूट पड़ा जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.

शक्ति (प्रिंसिपल) ने कहा कि स्कूल में 500 मीटर तक वायरिंग की जानी है और जो भी तार बिछाया गया है वह छह महीने से अधिक नहीं टिकता है जिससे 'अर्थिंग' होती है और बच्चों की सुरक्षा का डर बना रहता है. उन्होंने कहां, 'मैं बीडीओ ऑफिस गई और एक लेटर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें 25,000 से 30,000 रुपये लगेंगे, यह नहीं किया जा सकता है. उन्होंने मुझे काम खत्म करने के लिए खुद से खर्च करने के लिए कहा. क्या हम अपने काम के लिए कमीशन ले रहे हैं? उन्होंने  बताया कि हमने बिजली काट दी है. हम मोटर पंप का इस्तेमाल नहीं कर सकते. 

यह घटना चौकाने वाली है क्योंकि तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कई अन्य लाभार्थी योजनाओं के साथ बच्चों को स्कूलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सुबह का नाश्ता देने के लिए फंड दिया है. जहां एक तरफ तमिलनाडु सरकार विज्ञापनों के साथ ऐसी कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, वहीं एक स्कूल प्रिंसिपल का बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी पर  दर्द का वीडियो अब वायरल हो रहा है.

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