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Teachers Day पर मिलिए UP की टीचर दीदी से, सैकड़ों दिव्यांग बच्चों की बदली जिंदगी, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

Teachers Day 2024: शिक्षक दिवस पर देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को प्रोत्साहित और उन सभी शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है.

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टीचर दीपमाला पांडे यूपी में 800 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को पढ़ाती हैं
टीचर दीपमाला पांडे यूपी में 800 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को पढ़ाती हैं

Teachers Day 2024: आज आजाद भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 136वीं जयंती है. वे भारत के एक प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद, राजनेता और लेखक थे. उनका जन्म  5 सितंबर 1888 को हुआ था. 1962 से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह भी उन्हीं का विचार था. डॉ. राधाकृष्णन शिक्षकों के प्रति सम्मान रखते थे और उन्होंने कहा था कि उनके जन्मदिन के बजाय शिक्षक दिवस मनाया जाए. उन्होंने शिक्षकों को समाज के निर्माता और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्ति माना था. इसीलिए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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शिक्षक के दिवस के मौके पर आज हम उत्तर प्रदेश की एक शिक्षिका के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने दिव्यांग बच्चों को अज्ञान के अंधकार से निकालने का बीड़ा उठाया है. उत्तर प्रदेश में स्पेशल चिल्ड्रन की टीचर लोगों के लिए मिसाल पेश कर रही हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं.

सैकड़ों स्पेशल बच्चों की टीचर दीदी

हम बात कर रहे हैं यूपी के बरेली की 'टीचर दीदी' दीपमाला पांडे की. जिन्होंने खुद स्पेशल चाइल्ड के लिए 'वन टीचर वन कॉल' की शुरुआत की है और सैकड़ों छात्रों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है. ये टीचर छात्रों की टीचर दीदी के नाम से मशहूर हैं.

800 से ज्यादा बच्चों की जिंदगी बदल चुकी हैं टीचर दीदी

दरअसल, टीचर दीदी दिव्यांग या स्पेशल बच्चों को पढ़ाने के तरीके में बदलाव करके उन्हें मुख्य विचाधारा से जोड़ने का काम किया है. उनके पढ़ाने के यूनिक तरीके से बच्चे न सिर्फ अच्छे से पढ़ रहे हैं बल्कि उनकी पढ़ाई में रूचि भी बढ़ी है. अब तक करीब 800 से ज्यादा स्पेशल बच्चों का स्कूल में एडमिशन हो चुका है.

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दीपमाला के अभियान में अब 50 से अधिक टीचर जुड़ चुके हैं

दीपमाला (टीचर) ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग बच्चे स्कूल में एडमिशन लें और पढ़ाई करें. हालांकि शुरुआत में इन बच्चों के साथ काफी दिक्कतें आई लेकिन धीरे-धीरे ये बच्चे मेरी भाषा और मैं इन बच्चों को समझने लगी. उनका कहना है कि मैंने अकेले इस अभियान की शुरुआतकी थी, फिर धीरे-धीरे लोग उनके इस अभियान से जुड़ने लगे. अब पूरे जिले में 50 से ज्यादा टीचर उनके अभियान से जुड़ चुके हैं, जो स्पेशल बच्चों की मदद कर रहे हैं.

पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

दीपमाला ने बताया कि मेरा हौसला उस वक्त ज्यादा बढ़ा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मेरा नाम और मेरे काम का जिक्र किया. उसके बाद से मैं अपने काम में कई तरह के बदलाव ला चुकी हूं. अब हम इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं कि कैसे स्पेशल चाइल्ड के लिए स्पेशल ट्रेनर की सख्या बढ़ाई जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा स्पेशन बच्चों को इससे मदद मिल सके.

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