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NEET पर फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट में दिन भर चली बहस, CJI के सामने रखे गए ये प्वाइंट्स

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट पेपर लीक पर फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा की पव‍ित्रता दूष‍ित होने के पक्ष में साक्ष्य न होने का हवाला देते हुए दोबारा परीक्षा नहीं कराने का आदेश सुनाया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुबह 10:30 बजे NEET-UG मामले में सुनवाई शुरू की थी. जानिए- आज किन मुद्दों पर बहस हुई. 

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नीट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
नीट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

महीनों से चल रहे NEET-UG पेपर लीक विवाद पर आज विराम लग गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि  NEET-UG की परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं कराई जाएगी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पर्याप्त सबूत न होने की बात कहते हुए ये फैसला लिया. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में NEET-UG पेपर लीक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने किन बिंदुओं पर बात की.

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एक सवाल के दो जवाब होने का भ्रम, सामने आई IIT दिल्ली की रिपोर्ट
IIT दिल्ली  द्वारा गठित की गई 3 सदस्यी कमेटी ने एक सवाल के दो जवाब होने के भ्रम की निष्पक्षता से जांच की जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी. रिपोर्ट देखने के बाद उसपर विचार-विमर्श करते हुए मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने ये कहा कि जिस प्रश्न के दो जवाब होने का भ्रम था, उस प्रश्न की जांच करने में पाया गया है कि उस प्रश्न का विकल्प 4 ही सही उत्तर था. विकल्प 4 पर अंक देकर एनटीए (NTA) ने कोई गलती नहीं की.  

व्यक्तिगत शिकायतों को पर चर्चा 
NEET-UG पेपर लीक मामले में सुनवाई के चलते मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि जिन उम्मीदवारों को व्यक्तिगत शिकायतें हैं उन्हें अलग कर हाई कोर्ट भेजा जाएगा. पीठ का कहना था कि व्यक्तिगत शिकायतों का निस्तारण करना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है.

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24 लाख छात्रों के भविष्य का फैसला
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में इस बात पर अनिवार्य रूप से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है कि देश भर में पेपर लीक हुआ था या चोरी की कोई घटना हुई थी. इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा का कहना था कि उन्होंने सवाई माधोपुर में 2 घंटे बाद शाम 4:30 बजे इसका पता लगाया. एसजी का कहना था कि माननीय सदस्य एक ऐसे मुद्दे की जांच कर रहे हैं जिसमें लगभग 24 लाख छात्र शामिल हैं. कुल केंद्र 4750 हैं, यह अखिल भारतीय स्तर पर क्रॉस कंट्री प्रभाव की जांच करने का आंकड़ा है.

क्वेश्चन पेपर को लेकर हुई बहस
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस बात पर बहस हुई कि छात्रों को गलत क्वेश्चल पेपर दिया गया था या क्वेश्चन पेपर देर से दिया गया था. मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया था कि शुरू में केनरा बैंक का गलत पेपर दिया था जिसके जवाब में हुड्डा ने बताया कि दो सेंटर्स, सवाई माधौपुर और गाजियाबाद सेंटर्स पर क्वेश्चन पेपर अलग-अलग मीडियम ऑफ लैंग्वेज में दिया गया था. इस पर आगे सवाल करते हुए न्यायाधीश ने सवाल किया कि इस बात का पता कब चला जिसके जवाब में हुड्डा ने बताया कि इसका पता सवाई माधौपुर में ढाई बजे सोशल मीडिया पर पता चला. यह रिकॉर्ड पर उनका हलफनामा है. दोपहर 2 बजे परीक्षा शुरू हुई, क्वेश्चन पेपर दिए गए और छात्रों ने शिकायत की कि यह मेरा मीडियम नहीं है. NTA को उसी दिन 4:30 बजे पता चला.

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सवाई माधौपुर में 120 छात्रों ने फिर दिया था एग्जाम?
हुड्डा ने बताया कि ये पता चलने पर कि सवाई माधौपुर और गाज़ियाबाद के सेंटरों में गलत क्वेश्चन पेपर दिया गया था, उसी शाम एनटीए (NTA) ने फैसला लिया था कि शाम 6-9 बजे तक एक और परीक्षा होगी. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि सवाई माधौपुर में कितने स्टूडेंट्स थे. इसके जवाब में हुड्डा ने बताया कि 120 स्टूडेंट्स थे.

कोचिंग क्षेत्रों से ज्यादा होते हैं पर्सेंटाइल
सुनवाई के दौरान एसजी ने बताया कि हमने पाया है कि प्रबंधन कोटा सीटें ऐसे छात्रों से भरी गई हैं जो योग्य भी नहीं हैं. छत्तीसगढ़, नारायणपुर में सबसे कम पर्सेंटाइल है. योग्य छात्रों की संख्या का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सीट मिल गई है. कोटा, सीकर, कोट्टायम, नमक्कल, राजकोट जैसे कुछ केंद्र हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं और यूपीएससी जैसी परीक्षाओं के कोचिंग सेंटर हैं. 

पर्सेंटाइल सिस्टम पर हुई बात
सुनवाई के दौरान एसजी ने बताया कि 12.5 लाख क्वालिफाइड हैं, सीटें केवल 1 लाख 8 हजार हैं. सालों पहले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा की कुछ सीटें होती थीं. उन पर ऐसे लोग भी एडमिशन लेते थे, जिन्होंने एग्जाम क्वालिफाई नहीं किया हो. वो सिर्फ 50 मार्क्स या 70 मार्क्स लाते थे, इसलिए यह परसेंटाइल का सिस्टम लाया गया. गुजरात-भावनगर में कुल 5800 लोगों ने एग्जाम दिया. 164 से से ज्यादा स्कोर करने वाले 4660 है. ऐसे में पासिंग पर्सेंटेज 80.34% है.

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परीक्षा केंद्र को लेकर सवाल
मुख्य न्यायाधीश ने परीक्षा केंद्र को लेकर सवाल किया कि क्या परीक्षा केंद्र बदलने के लिए किसी दस्तावेज़ की ज़रूरत है?  इसका जवाब देते हुए एसजी के बताया कि नहीं, हम दस्तावेज़ नहीं मांगते. उनके पास शहर चुनने का विकल्प होता है, केंद्र आवंटित किया जाता है, हम इस बात पर अपील नहीं करते कि यह शहर क्यों चुना गया आदि.

री-एग्जाम पर हुई् बात
लंच के बाद सुनवाई को दोबारा जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि  यदि हम दोबारा परीक्षा का आदेश दे रहे हैं, तो छात्रों को पता होना चाहिए कि उन्हें तैयारी शुरू करनी होगी और यदि हम नहीं करते हैं तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए. हम उन्हें लटका कर नहीं रख सकते, इसलिए हमें आज सुनवाई समाप्त करनी होगी यह संस्थागत दृष्टिकोण से भी सही नहीं है, आप देखिए.

पेपर लीक पटना और हज़ारीबाग तक ही सीमित
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि क्या अदालत पुनः परीक्षण का आदेश दे सकती है, क्योंकि जांच पूरी नहीं हुई है और इस बात की संभावना है कि लीक केवल दो स्थानों तक ही सीमित नहीं है. हम 23 लाख छात्रों से निपट रहे हैं. आइए इसे दोनों तरीकों से देखें/ भविष्य में सीबीआई जांच एक अलग तस्वीर पेश कर सकती है लेकिन उसी तरह हम आज किसी भी प्रथम दृष्टया प्रकृति के साथ यह नहीं कह सकते हैं कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे बढ़ गया है, यह दिखाने के लिए कि यह व्यवस्थित है और पूरे देश में फैल गया है.

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बता दें कि NEET-UG पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब NEET-UG की काउंसलिंग बुद्धवार यानी 24 जुलाई से शुरू हो जाएगी.

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