Happy Ganesh Chaturthi 2021: जीवन में सफल होने के लिए विनम्रता, धैर्य और तत्परता जैसे गुण हैं जरूर होने चाहिए. भगवान गणेश हमें जिंदगी के हर पहलू पर नई सीख देते हैं. गणेश चतुर्थी पर आज हम ऐसे ही कुछ गुणों की बात करेंगे.
स्व विवेक और स्नेह में पास कर ली सबसे बड़ी परीक्षा
भगवान गणेश की एक पौराणिक कथा है जो हमें सिखाती है कि हमें जो भी प्राप्य है, उसे ही उपयोगी समझें. कथा के अनुसार मां पार्वती और भगवान शंकर ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय व गणेश की परीक्षा लेने का निर्णय लिया. दोनों ने अपने पुत्रों को समस्त ब्रह्मांड के तीन चक्कर लगाने को कहा. साथ ही विजेता को इनाम के रूप में सबसे स्वादिष्ट फल देने का वादा किया. यह सुनकर कार्तिक अपने मोर पर बैठकर दुनिया का भ्रमण करने निकल गए. वहीं भगवान गणेश ने अपने विवेक और स्नेह के वशीभूत होकर अपने माता-पिता के ही चारों ओर चक्कर लगाने शुरू कर दिए. जब उनसे माता-पिता ने पूछा कि आप क्यों कार्तिकेय के साथ ब्रह्मांड के चक्कर लगाने नहीं गए. तब उन्होंने कहा कि मेरा ब्रह्मांड आप दोनों ही हैं.
जब पुर्नजीवन मिला, बनें संसार के लिए उदाहरण
उनके जीवन से जुड़ी सबसे पहली कथा मां पार्वती द्वारा उनका सृजन ही है. कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को स्नान के लिए जाना था. लेकिन, उनके द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नहीं था तो मां पार्वती ने अपने तन के मैल से एक बच्चे की रचना की. वो भगवान गणपति थे.
जब मां पार्वती स्नान के लिए जाने लगीं तो भगवान गणेश को द्वार का रक्षक बनाकर खड़ा कर दिया. उन्होंने बाल गणेश को आज्ञा दी कि किसी को भी भीतर प्रवेश न दें. कुछ ही क्षणों में वहां भगवान शिव उपस्थित हुए जिन्हें गणेश ने अंदर जाने की अनुमति नहीं दी.
अपनी अवज्ञा से क्रोधित भगवान शिव ने शस्त्र से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. जब मां पार्वती वहां पहुंची तो पुत्र गणेश का धरती पर कटा धड़ देखकर क्रोध में आ गईं. उन्होंने शिव से कहा कि वे गणेश को पुन: जीवित कर दें. तब भगवान शिव खुद भी बहुत पछताए और बेटे के लिए जीवित सिर खोजने लगे.
भगवान गणेश की यह कथा हमें सिखाती है कि यदि हरहाल में हम जीवन की परवाह किए बिना अपने अपना कार्य बिना स्वार्थ के करें तो जीवन हमें बार बार मौके देता है.
रचनात्मकता में बलिदान से भी न चूकें
एक अन्य कथा में जिक्र मिलता है कि कैसे भगवान गणेश ने महान ऋषि वेद व्यास के कहने पर महाभारत का महान ग्रंथ स्वयं अपने हाथों से रच दिया. इस ग्रंथ को लिखने के लिए व्यास और गणेश के बीच एक समझौता हुआ था कि व्यास इसे बिना रुके सुनाएंगे व गणेश भी बिना रुके लिखेंगे. लिखते समय अचानक भगवान गणेश की कलम टूट गई लेकिन लिखावट में कोई बाधा ना आए इसके लिए भगवान गणेश ने अपना दांत तोड़कर कलम के रूप में इस्तेमाल कर लिए.
इस तरह भगवान गणेश छात्र जीवन में यह सीख देते हैं कि जब भी किसी के भले के लिए हम कोई काम कर रहे हैं तो निस्वार्थ होकर हमें खुद का या अपनी किसी वस्तु का बलिदान करने से पीछे नहीं हटना चाहिए.