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'यूनिवर्सिटी नहीं तय कर सकती क्‍या खाएं-क्‍या नहीं', JNU हिंसा मामले पर VC का बयान

JNU Voilence Row: उन्‍होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों के खाने की च्‍वाइसेज़ का सम्मान करता है. विश्वविद्यालय किसी भी छात्र पर भोजन का कोई विकल्प नहीं थोपता है. यह हर किसी का व्यक्तिगत और मौलिक अधिकार है. लड़ाई बौद्धिक रूप से लड़ी जानी चाहिए और शारीरिक रूप से नहीं.

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JNU VC Dhulipudi Pandit (File Photo)
JNU VC Dhulipudi Pandit (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रामनवमी पर हुई थी यूनिवर्सिटी में हिंसा
  • नॉन-वेज खाने को लेकर भिड़े थे छात्र

JNU Voilence Row: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने बुधवार को कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों पर भोजन का विकल्प नहीं थोपता और जोर देकर कहा कि छात्र बहस कर सकते हैं, आंदोलन कर सकते हैं लेकिन हिंसा में शामिल नहीं होना चाहिए. उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब दो समूहों में कथित तौर पर एक छात्रावास के मेस में मांसाहारी भोजन परोसने को लेकर आपस में भिड़ गए थे. राम नवमी उत्सव पर कुछ छात्रों द्वारा पूजा का आयोजन किया गया था जिस दौरान यह घटना हुई.

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कुछ वर्गों द्वारा विश्वविद्यालय के छात्रों को "राष्ट्र-विरोधी" कहे जाने पर उन्होंने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्वविद्यालय की पहचान कुछ फ्रिंज समूहों के कारण की जा रही है. मैं किसी और की तरह ही राष्ट्रवादी हूं और वे सभी राष्ट्रवादी हैं." कुछ विवादास्पद घटनाओं के बाद, 10 अप्रैल की हिंसा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में 17 छात्रावास हैं और उनमें से 16 में इफ्तार और रामनवमी पूजा एक साथ आयोजित होने के साथ सब कुछ शांति से चल रहा है. 

उन्होंने कहा, "मामले को सुलझा लिया गया और यह तय किया गया कि हवन के बाद मांसाहारी भोजन पकाया जाएगा. चिकन विक्रेता आपूर्ति करने आया और उसे रोक दिया गया." वीसी ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के छात्रों ने मोबाइल वीडियो जमा किए हैं और कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है. छात्रों ने कुछ साल पहले सीसीटीवी कैमरे लगाने का विरोध किया था और यहां तक ​​कि सीसीटीवी कैमरे भी हटा दिए थे. उन्‍होंने कहा कि घटना का कोई "स्वतंत्र फुटेज" नहीं है. 

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उन्‍होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों के खाने की च्‍वाइसेज़ का सम्मान करता है. "विश्वविद्यालय किसी भी छात्र पर भोजन का कोई विकल्प नहीं थोपता है. यह हर किसी का व्यक्तिगत और मौलिक अधिकार है. लड़ाई बौद्धिक रूप से लड़ी जानी चाहिए और शारीरिक रूप से नहीं.'' धूलिपुड़ी पंडित ने बुधवार को ABVP सहित अन्‍य छात्र संगठनों के सदस्यों से भी मुलाकात की. उन्‍होंने कहा "वर्तमान में कोई JNUSU नहीं है. पिछले दो वर्षों से चुनाव नहीं हुए हैं 

विश्वविद्यालय में एक छात्र के रूप में अपने समय को याद करते हुए, उन्होंने कहा, ''उस समय किसी भी धार्मिक उत्सव की अनुमति नहीं थी, लेकिन पिछले 20 वर्षों में, इसकी अनुमति दी गई है. इसे रोकना बहुत मुश्किल है क्योंकि लोग इस तरह की चीजों के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं. जब तक यह शांतिपूर्वक किया जाता है, हमें कोई समस्या नहीं है.'' उन्‍होंने यह भी कहा कि छात्रावास मेस छात्रों और वार्डन द्वारा चलाया जाता है और प्रशासन का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. "प्रशासन द्वारा कुछ भी करना उनके अधिकार के हनन या निर्देश थोपने के रूप में देखा जाएगा."

 


 

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