
कहते हैं प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती कानपुर में 7वीं क्लास के पढ़ने वाले यशवर्धन इसका जीता जागता उदाहरण है. 11 वर्षीय यशवर्धन अपने दिमाग की प्रतिभा में इतना तेज है कि उसका आईक्यू लेवल 129 आया है. यशवर्धन का आईक्यू ही ज्यादा नहीं है, वह ज्ञान का इतना धनी है कि अपनी प्रतिभा से सिविल सेवा के परीक्षार्थियों को भी पढ़ाता है. यही वजह है कि उसका एडमिशन 7वीं क्लास से सीधा 9वीं क्लास में हुआ है.
यूपी के सीएम योगी से विधानसभा अध्यक्ष प्रतिभा के मुरीद
यशवर्धन को लेकर कानपुर के जिला प्रशासन ने कई बार सम्मानित किया है. यूपी के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से लेकर खुद सीएम योगी तक उसकी प्रतिभा के मुरीद हो चुके हैं. यही नहीं उसकी प्रतिभा के चलते लंदन में भी सम्मान मिल चुका है. 7वीं से 9वीं में प्रमोशन पाकर यशवर्धन अब अपना पुराना स्कूल छोड़कर नए स्कूल में दाखिला लेने जा रहा है जिससे उसके साथी से लेकर स्कूल प्रशासन तक उसकी प्रतिभा से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. वहीं उन्हें यह दुख भी है कि यशवर्धन अब दूसरे स्कूल में जा रहा है. आज अपने पुराने स्कूल में आखिरी दिन स्कूल के प्रिंसिपल, टीचर्स और सभी छात्रों ने यशवर्धन की ताली बजाकर उसके प्रमोशन को बधाई दी.
फिजियोथेरेपिस्ट हैं पिता
कानपुर के शिवकटरा के रहने वाले फिजियोथेरेपी डॉक्टर अंशुमान सिंह का 11 वर्षीय बेटा यशवर्धन कृष्णा नगर के रघुकुल पब्लिक स्कूल का छात्र है. यशवर्धन इस स्कूल में शुरुआत से पढ़ रहा है. इस समय वह सातवीं क्लास में है लेकिन अभी यूपी के शिक्षा विभाग ने यशवर्धन के दिमाग की प्रतिभा को देखते हुए उसे सीधा 9वीं क्लास में एडमिशन देने का आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद कानपुर बीएसए ने यशवर्धन को पाली इलाके के उदय भारती इंटर कॉलेज में 9वीं में सीधे दाखिला दे दिया है. आज अपने रघुकुल स्कूल में आखरी क्लास अटेंड करने पहुंचे यशवर्धन को उसके क्लास के साथियों ने टीचर और प्रिंसिपल के साथ तालियां बजाकर इस बात की बधाई दी.
प्रिंसिपल दी शुभकामनाएं, साथी छात्रों ने किया ये वादा
यशवर्धन की प्रतिभा का ही आलम यह था कि स्कूल की प्रिंसिपल अंजू भाटिया ने क्लास में खड़े होकर सबके सामने ऐलान किया कि यशर्वर्धन तुमने हमारे स्कूल का मान बढ़ाया है. तुमने दो क्लास सीधे प्रमोशन पाकर हम सभी को गौरवान्वित महसूस कराया है. ऐसा मौका शायद ही किसी मासूम छात्र के जीवन में देखने को मिलता, हम तुम्हें शुभकामनाएं देते हैं. इस दौरान अंशुमन के क्लासमेट साथी उसके स्कूल छोड़ने से दुखी तो थे लेकिन वह भी वादा कर रहे थे कि हम भी अंशुमन के जैसा बनने की कोशिश करेंगे.
सिविल सर्विसेज की ट्यूशन देता है 7वीं का छात्र
यशवर्धन का कहना है कि बहुत अच्छा लग रहा है, मैंने अपनी मम्मी को सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हुए देखा था, उन्हीं के साथ में भी उन किताबों को पढ़ा करता था. मैंने सिविल क्लास पढ़ने वालों को भी पढ़ाना शुरू किया मुझे लगा कि मैं ऐसा कर सकता हूं. आगे मैं पढ़ाई करके देश के लिए कुछ करना चाहता हूं. इसके लिए मैं फॉरेन सर्विस में जाना चाहूंगा. इस बात की खुशी है कि उसे बहुत से लोग सम्मानित करते हैं.
कोरोना काल में भी नहीं हार
स्कूल टीचरों की माने तो कोरोना काल जब 2 साल तक स्कूल बंद रहे, उस दौरान भी यशवर्धन ने अपनी पढ़ाई को इस मुहिम के रूप में लिया. उसने हर वह कोशिश की जिससे उसके दिमाग की प्रतिमा को बना सके. वहीं यशवर्धन की मां कंचन सिंह का कहना है कि मेरा बेटा बचपन से ही पढ़ने में तेज है, उसका सपना था देश के लिए कुछ करें, वह आगे चलकर जरूर देश का नाम रोशन करेगा.