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यूपी: गोरखपुर में हो रही थी पोस्ट मास्टर पदों पर भर्ती, 95 फीसदी अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट पाए गए फर्जी 

यूपी डाक विभाग भर्ती में फर्जी दस्तावेजों के सत्यापन का मामला आया है. गोरखपुर में ब्रांच पोस्ट मास्टर के 100 पदों के लिए आवेदन निकाले गए थे, जिसमें भर्ती के लिए अधिकांश उम्‍मीदवारों के दस्‍तावेज फर्जी पाए गए हैं. फर्जी तरीके से मार्कशीट बनवाकर आवेदन करने वाले आवेदकों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

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Fake Documents Verification:
Fake Documents Verification:

उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर में ब्रांच पोस्ट मास्टर के 100 पदों के लिए आवेदन निकाले गए थे, जिसमें भर्ती के लिए अधिकांश उम्‍मीदवारों के दस्‍तावेज फर्जी पाए गए हैं. प्रवर डाक अधीक्षक का कहना है कि इस मामले में उम्‍मीदवारों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज होंगे. फर्जी तरीके से मार्कशीट बनवाकर आवेदन करने वाले आवेदकों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि 95 फ़ीसदी उम्‍मीदवारों के फर्जी दस्तावेजों के सत्यापन का मामला आया है. 

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डाक विभाग के प्रवर डाक अधीक्षक मनीष कुमार ने कहा कि जिन उम्मीदवारों की डिग्रियां फर्जी मिली हैं, उन्हें पत्र लिखा गया है. साथ ही गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए भी जिले के एसपी को भी पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया गया है. जिन जिले के आवेदकों की डिग्रियां फर्जी मिलेंगी, उनके खिलाफ जिले के थानों पर धारा 419, 420, 467 ,468 ,471 के तहत केस दर्ज होगा.

डाक विभाग ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, सिवान के अभिषेक सिंह ने डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसने झारखंड बोर्ड से इंटर में 98.08 प्रतिशत अंक हासिल करने की मार्कशीट लगाई थी. जांच में प्रमाणपत्र फर्जी मिला. देवरिया के रसूल मियां ने झारखंड बोर्ड से 98.06 प्रतिशत अंक हासिल करने के प्रमाणपत्र के साथ डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जांच की गई तो उनका प्रमाणपत्र फर्जी निकला.

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ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनकी डिग्रियों की जांच शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही है. डाक विभाग ने मई-जून माह में जिले में 100 पदों पर BPM (ब्रांच पोस्ट मास्टर) पदों के लिए आवेदन निकाला था. चयन में इंटरमीडिएट में बेहतर अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को वरीयता दी जानी थी. आवेदकों को प्रमाणपत्र के साथ ऑनलाइन आवेदन करना था. नौकरी के लिए करीब 500 आवेदन आए. इसमें आस-पास के जिलों के अलावा बिहार के भी अभ्यर्थी शामिल थे.

आवेदकों में कई की मार्कशीट झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों से जारी की गई थी. इनके अंक भी 98 फीसदी से ज्यादा थे. सत्यापन प्रक्रिया के दौरान विभाग को पता चला कि ज्यादा अंक हासिल करने के आधार पर शार्ट लिस्ट किए गए 95 फीसदी से अधिक उम्‍मीदवारों की मार्कशीट फर्जी है.

कैसे हुआ मामले का खुलासा?

ऑनलाइन आवेदनों से शार्ट लिस्ट किए गए अभ्यर्थियों को प्रवर डाक अधीक्षक ने ओरिजिनल डॉक्‍यूमेंट्स के साथ दफ्तर बुलाया जिसके बाद मामला खुला. संबंधित बोर्ड से डाक विभाग को मिली रिपोर्ट के अनुसार, उम्‍मीदवारों बोर्ड द्वारा उस कोर्स में थे ही नहीं जिसकी मार्कशीट उन्‍होंने दे रखी थी. ऐसे मामले 95 फीसदी से ज्यादा थे. 

प्रवर डाक अधीक्षक ने आगे बताया कि जिन अभ्यर्थियों की मार्कशीट फर्जी मिली है, उन जिलों के जिम्मेदारों को पत्र लिखा गया है. संबंधित एसपी, थाने के जिम्मेदारों से इन आवेदकों की जांच पड़ताल कर गंभीर धाराओं में केस दर्ज करेंगे. जब इस बारे में एक अधिवक्ता से बात हुई तो उन्होंने बताया कि फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे दावेदारी करने और पकड़े जाने पर आईपीसी 419, 420, 467, 468, 471 धारा में अभियोग रजिस्‍टर किया जाता है. ये गंभीर अपराध होता है.

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(गोरखपुर से विनीत पांडे का इनपुट)

 

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