उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही भर्ती परीक्षा का दूसरा चरण शुक्रवार और शनिवार को होगा. पहले चरण में 23, 24 और 25 अगस्त को परीक्षाएं हुई थीं. पहले चरण की परीक्षा खत्म होने के बाद 3 सिपाही समेत कुल 40 सॉल्वर्स और अभ्यर्थी गिरफ्तार हुए. 29 एफआईआर दर्ज हुईं और करीब 318 संदिग्ध भी भर्ती बोर्ड की जांच के दायरे में आ गए.
17 और 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश में हुई सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के 6 महीने बाद यह परीक्षा दोबारा हो रही है. यह परीक्षा कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच हो रही है. भर्ती बोर्ड ने पहले चरण की तीन दिनों में हुई परीक्षा के दौरान कुल 318 संदिग्ध पकड़े हैं जिनमें पहले दिन 61, दूसरे दिन 72 और तीसरे दिन 185 अभ्यर्थियों को पकड़ा गया. इनको परीक्षा में बैठने तो दिया गया लेकिन उनके दस्तावेजों की जांच के बाद ही रिजल्ट जारी किया जाएगा.
बीती परीक्षा में पकड़े गए थे इतने सॉल्वर गैंग
पहले तीन दिन में हुई परीक्षा के दौरान नौ लाख से अधिक परीक्षार्थियों यानी करीब 20 फ़ीसदी ने परीक्षा छोड़ी है. ये वे परीक्षार्थी थे जिन्होंने दोबारा परीक्षा कार्यक्रम घोषित होने के बाद प्रवेश पत्र डाउनलोड तो किया लेकिन परीक्षा देने केंद्र पर नहीं पहुंचे. वहीं, दूसरी तरफ बीती 17 और 18 फरवरी को हुई परीक्षा में करीब 11 फ़ीसदी परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी थी. फरवरी महीने में हुई परीक्षा के दौरान करीब 250 सॉल्वर, ठग पकड़े गए थे.
इस बार परीक्षा में रही कड़ी सुरक्षा
इसके बारे में डीजीपी प्रशांत कुमार का कहना है कि परीक्षार्थियों के परीक्षा छोड़ने के कई कारण हैं जिसमें दूसरे विभागों में नौकरी का मिलना, कुछ का परीक्षा केंद्र पर देरी से पहुंचना और पुलिस की सख्ती के चलते भी सॉल्वर और नकलची परीक्षार्थियों ने कार्रवाई के डर से परीक्षा छोड़ी है. कारण कुछ भी हो सकते हैं लेकिन हमारी प्राथमिकता शुचितापूर्ण ढंग से परीक्षा के जरिये मेधावी और योग्य अभ्यर्थियों के चयन की है. अब सवाल उठता है कि आखिर इस बार भर्ती बोर्ड ने ऐसा क्या किया और उत्तर प्रदेश पुलिस ने क्या तकनीक अपनाई कि परीक्षा में इतना बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है.
गौरतलब है कि पिछली बार भर्ती बोर्ड ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 2385 परीक्षा केंद्रों पर दो दिनों में चार पालियों में परीक्षा कराई थी. हर पाली में लगभग 10 लाख परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे थे. परीक्षा केंद्र सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूल और कॉलेज भी बनाए गए. यूपी एसटीएफ ने जब पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी शुरू की तो निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्र की भूमिका सर्वाधिक संदिग्ध मिली.
5 दिनों में 10 शिफ्ट में कराई गई परीक्षा
इस बार भर्ती बोर्ड ने 5 दिनों में कुल 10 पालियो में परीक्षा कराई. हर पाली में 4.80 लाख लोगो ने ही परीक्षा दी. परीक्षा भी 67 जिलों के 1174 परीक्षा केंद्रों पर हो रही है. यानी पिछली बार की अपेक्षा इस बार 75 जिलों के बजाए 67 जिलों में परीक्षा हो रही है. इस बार 1211 परीक्षा केंद्र कम रखे गए हैं. भर्ती बोर्ड ने इस बार परीक्षा केंद्र सिर्फ सरकारी स्कूल कालेज या सरकार से अनुदानित स्कूलों और कॉलेज के ही बनाए हैं. एक भी निजी स्कूल को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया है.
दूसरी तरफ, यूपीएसटीएफ ने बीते 12 सालों में पेपर लीक कराने वाले हो या सॉल्वर गैंग से जुड़े लोगों पर भी नजर रखी. पेपर बनाने से लेकर, उसको छापने और जिले की ट्रेजरी तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग एजेंसियों को काम बांटे गए. ट्रेजरी से परीक्षा केंद्र तक और परीक्षा केंद्र से अभ्यर्थियों के परीक्षा कक्ष के अंदर तक की पूरी व्यवस्था मजिस्ट्रेट, सेक्टर मजिस्ट्रेट और पुलिस अफसर की निगरानी में रखी गई.
सॉल्वर गैंग को रोकने के लिए यूपीएसटीएफ ने लिया ये फैसला
दरअसल भर्ती बोर्ड और यूपीएसटीएफ की कोऑर्डिनेशन मीटिंग में यह तय हुआ था कि परीक्षा प्रणाली में निजी स्कूलों का दखल बंद हो जाए तो पेपर लीक या सॉल्वर के बैठने की संभावना 60 से 70 फ़ीसदी कम हो जाएगी. सॉल्वर गैंग निजी स्कूलों में काम करने वाले कर्मचारियों को रुपयों का लालच देकर आसानी से अपने साथ मिला लेते हैं जबकि सरकारी कर्मचारी के ऊपर सबसे बड़ा खतरा नौकरी जाने का होगा, जेल जाने का होगा. जिसके बाद ही सरकारी स्कूल, कॉलेज को परीक्षा केंद्र और परीक्षा प्रणाली में सरकारी कर्मचारियों के ही तैनाती की गई.
परीक्षा केंद्रों पर सघन चेकिंग
परीक्षा केंद्र पर हर परीक्षार्थी का आधार कार्ड से मिलान के साथ-साथ उसके फिंगर प्रिंट का भी मिलान करवाया गया. सघन चेकिंग करवाई गई. किसी भी तरीके की घड़ी, लाइटर पर्स इयररिंग आदि के ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया. हर परीक्षा कक्ष में सीसीटीवी लगाया गया. इस सीसीटीवी को परीक्षा केंद्र के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया. परीक्षा केंद्र के कंट्रोल रूम को जिला कंट्रोल रूम से जोड़ा गया और जिला कंट्रोल रूम को भर्ती बोर्ड के मास्टर कंट्रोल रूम से जोड़ा गया. यानी हर परीक्षा कक्ष पर तीन लेयर पर निगरानी थी। परीक्षा केंद्र, जिला मुख्यालय और भर्ती बोर्ड हेडक्वार्टर से नजर रखी जा रही है.