उत्तर प्रदेश सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर कैसे लीक हुआ, ये एक पहेली बना हुआ है. पेपर लीक किसी गैंग के जरिए किया गया था या परीक्षा कराने वाली एजेंसी की गलती से लीक हुआ. एसटीएफ की टीमें इसी की तलाश कर रही हैं. एसटीएफ अब अभ्यर्थियों से पैसा लेकर पेपर मुहैया कराने वाले गैंग से रिवर्स नेटवर्क को खंगालकर पेपर लीक करने वाले असली गुनहगार का सिरा तलाश रही है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए सबूत और अभ्यर्थियों के लिए आवाज उठाने वाले विवेक कुमार से मिली जानकारी के बाद एसटीएफ अहम दिशा में काम कर रही है. लिहाजा पेपर सेट करने वाले एजेंसी द्वारा चयनित टीचर्स के नेटवर्क में किसी ने अपनी हैंडराइटिंग में एक कॉपी रख ली और परीक्षा से एक दिन पहले पैसा कमाने के लिए मोटी रकम लेकर अपने कुछ जानकारों को पेपर लीक कर दिया और जो धीरे-धीरे पैसे कमाने का जरिया बनकर 1 हजार से 10 हजार रुपए में बिकने लगा. पेपर बनाने के लिए चयनित किए गए विभिन्न टीचर्स के सवालों को मिलाकर फाइनल पेपर बनाया गया और प्रिंटिंग प्रेस में छपने के लिए दिया, तो वहां किसी गैंग या प्रिंटिंग प्रेस के व्यक्ति ने प्रश्न पत्र को हाथ से लिखकर कॉपी तैयार की और लीक कर दी.
एसटीएफ अब उत्तर प्रदेश से पेपर लीक करने वाले पूरे गैंग को ही ध्वस्त करने में जुट गई है. एसटीएफ अब अभ्यर्थियों को पेपर बेचने वाले नकल गैंग से रिवर्स नेटवर्क को खंगालते हुए पेपर लीक करने वाले असल गुनहगार तक पहुंचने में जुट गई है.
इसी क्रम में एक अहम कड़ी गाजियाबाद से कपिल तोमर को गिरफ्तार करना है. गाजियाबाद में 17 फरवरी की दूसरी पाली में ब्लूटूथ के जरिए नकल करते अभ्यर्थी रिया चौधरी को पकड़ा तो साथ में नकल कराने वाले गैंग का एक सदस्य गुरबचन भी गिरफ्तार हुआ था. गुरबचन से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसे पेपर कपिल तोमर और मोनू मलिक ने दिया था. यूपी एसटीएफ ने 10 दिन की मशक्कत के बाद कपिल तोमर को गाजियाबाद के ट्रॉनिका सिटी से गिरफ्तार किया है.
कपिल की गिरफ्तारी अहम मानी जा रही है, क्योंकि नोएडा, गाजियाबाद, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अभ्यर्थियों तक नकल कराने वाले गैंग के जरिए जो पेपर पहुंचा, उसमें कपिल तोमर नेटवर्क की अहम कड़ी है. अब यूपी एसटीएफ ने रिवर्स नेटवर्क खंगालते हुए जिस गुरबचन को पेपर कपिल ने दिया, उस कपिल से पूछताछ कर रही है कि उसे यह पेपर किसने दिया था.
शुरुआती पूछताछ में कपिल तोमर ने बस इतना ही कुबूल किया है कि वह रेलवे ग्रुप डी और उत्तराखंड में पेपर लीक करने वाले मोनू मलिक का साथी है. मोनू मलिक के मुजफ्फरनगर में रहने वाले साथी मिंटू ने उसे यह पेपर दिया था. उसने पैसा देकर यह पेपर नहीं खरीदा था, उसने तो मोनू मलिक के कहने पर ही गुरबचन को यह पेपर बेचा था. मिंटू को यह पेपर किसने दिया था, इसकी जानकारी उसे नहीं है.
कपिल तोमर, मिंटू और मोनू मालिक एक ही गैंग में साथ काम करते हैं. यूपी एसटीएफ की नोएडा टीम अब मिंटू और मोनू मलिक की गिरफ्तारी में जुटी है. एसटीएफ को उम्मीद है कि इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद पेपर किसने दिया, कितने रुपए में दिया. अब तक तो सिर्फ अभ्यर्थी और उनको नकल कराने वाले गैंग मेंबर्स ही पकड़ में आ रहे थे, लेकिन कपिल की गिरफ्तारी से एसटीएफ पेपर लीक कराने वाले नेटवर्क का सिरा पकड़ चुकी है.