UPPSC Protest Latest Update: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल के बाद चार दिन बाद अभ्यर्थियों की मांग स्वीकार कर ली है. यूपी RO/ARO परीक्षा स्थगित कर दी गई है और यूपी पीसीएस फिर से पुराने पैटर्न पर कराने का फैसला लिया गया है. आयोग ने अपनी वेबसाइट पर नोटिस जारी कर इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी है. बावजूद इसके प्रयागराज में अभ्यर्थियों की लड़ाई अभी जारी है. सरकार के फैसले के बाद भी अभ्यर्थी प्रयागराज में स्थित यूपीपीएससी के हेड ऑफिस के सामने धरना प्रदर्शन पर डटे हुए हैं.
आयोग के फैसले के बाद भी धरना प्रदर्शन क्यों?
अभ्यर्थियों का मानना है कि सरकार ने पीसीएस परीक्षा के लिए तो एक दिन एक पाली कर दिया है, लेकिन RO/ARO परीक्षा के बारे में कमेटी बनाने को कहा है, अब ये कैसी कमेटी होगी और एग्जाम एक पाली में होगा या नहीं अभी तक क्लियर नहीं हुआ है. अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार पहले क्लियर करे की RO/ARO एग्जाम कब? और कमेटी क्या डिसाइड करेगी? तब तक धरना प्रदर्शन ऐसे ही बना रहेगा.
आयोग ने नोटिस में क्या कहा?
आयोग ने फिलहाल RO/ARO परीक्षा स्थगित करके एक कमेटी गठित करने की जानकारी दी है. जारी नोटिस में लिखा है कि अभ्यर्थियों की 10,76,004 संख्या को ध्यान रखते हुए चयन प्रक्रिया को पारदर्शी, गुणधर्मिता एवं शुचितापूर्ण ढंग से संपन्न कराए जाने के उद्देश्य से सारे तथ्यों पर रिसर्च और विश्लेषण करने के लिए आयोग द्वारा समिति का गठन किया गया है, जो सभी पहलुओं पर विचार कर जल्द से जल्द अपनी डिटेल्ड रिपोर्ट पेश करेगी.
कब खत्म होगा अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन?
इस नोटिस में यह जानकारी नहीं दी गई है कि अब RO/ARO परीक्षा कब होगी, परीक्षा 'वन डे वन शिफ्ट' और नॉर्मलाइजेशन लागू होगा या नहीं. इन मांगों को लेकर ही अभ्यर्थी बीते चार दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे थे. आयोग ने अभी केवल परीक्षा स्थगित करने और विश्लेषण करने के लिए कमेटी गठित करने की ही जानकारी दी है. इसीलिए अभ्यर्थी तब तक धरने से हटने को तैयार नहीं है जब तक ये बातें क्लियर नहीं हो जाती.
बता दें कि पीसीएस परीक्षा के मुकाबले समीक्षा अधिकार (RO)/ सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) के अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है. इस परीक्षा में करीब 11 लाख (10,76,004) अभ्यर्थियों के बैठने की उम्मीद है. आरओ/एआरओ के अभ्यर्थियों ने पीसीएस के अभ्यर्थियों के साथ मिलकर इस आंदोलन को काफी बड़ा बना दिया है. हालांकि इनमें ऐसे भी अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने दोनों परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. आयोग के फैसले को अभ्यर्थी आधा-अधूरा बता रहे हैं.