UPSC Prelims 2020 exam: संगम नगरी प्रयागराज में संघ लोक सेवा आयोग की प्री परीक्षा 2020 के ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान कोविड-19 गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं. लेकिन मामला प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही से जुड़े होने के चलते कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति इसके खिलाफ बोलने को कुछ भी तैयार नहीं हैं.
दरअसल पूरा मामला चार अक्टूबर को होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की प्री-परीक्षा 2020 के ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़ा है. यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की प्री परीक्षा कराने के लिए मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सभागार में अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया गया था.
जिस हाल में अधिकारियों और कर्मचारियों को परीक्षा कराने को लेकर ट्रेनिंग दी जानी थी उसकी क्षमता काफी कम थी. जबकि उसमें क्षमता से कहीं अधिक लोग आ गए. जानकारों के मुताबिक मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सभागार की क्षमता लगभग साढ़े तीन सौ व्यक्तियों के बैठने की थी. लेकिन दोगुने से ज्यादा लोगों के उस हाल में आ जाने से ट्रेनिंग प्रोगाम केवल मजाक बनकर रह गया.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के इस दौर में कोविड- 19 गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन नहीं हो सका. कम क्षमता वाले सभागार में पहुंचे 600 से अधिक लोगों में से कई कर्मचारियों और शिक्षकों ने भीड़ देखकर ही पसीना छोड़ दिया और बगैर ट्रेनिंग किए हस्ताक्षर करके ही लौट गए.
गौरतलब है कि संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा चार अक्टूबर को प्रयागराज जिले में 97 केंद्रों पर आयोजित होगी. इस परीक्षा में जिले में लगभग 47 हजार परीक्षार्थी शामिल होंगे. कोरोना काल में परीक्षा को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए ही एमएनएनआईटी के सभागार में ट्रेनिंग के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों को बुलाया था.
इस मामले में प्रशासन के अफसरों के अपने अलग ही दावे हैं. उनका कहना है कि सभागार की क्षमता लगभग सात सौ लोगों की थी जबकि एक पाली के प्रशिक्षण में महज 300 लोगों को ही बुलाया गया था. वहीं प्रशिक्षण लेने गए कर्मचारियों का आरोप है कि यहां पर न तो सैनिटाइजर का इंतजाम था और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा था.
एडीएम सिटी अशोक कुमार कनौजिया के मुताबिक ट्रेनिंग के दौरान कोविड-19 गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन कराया गया है.