दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित RAU's IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद नगर निगम का लगातार एक्शन जारी है. मंगलवार को भी कुल 9 कोचिंग संस्थानों के बेसमेंट सील किए गए. इससे पहले 19 सेंटर्स को सील किया गया था. साथ ही एमसीडी ने कई अवैध संस्थानों पर नोटिस चस्पा किया है और इलाके से अतिक्रमण भी हटाया जा रहा है. लेकिन यहां UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र नर्क जैसा जीवन बिता रहे हैं. यानी भविष्य के ये सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार के पानी में डूब चुकी ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी जगहों पर अग्निपरीक्षा देते हुए इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.
आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट में सोमवार को भी दिखाया गया था कि ये छात्र यहां घर के बाथरूम से भी छोटे कमरे का 10 से 15 हजार रुपये महीने का किराया देते हैं, जबकि इस तरह के ज्यादातर Paying Guest वाले कमरे गैर-कानूनी हैं. इनमें ना तो फायर का NOC है, ना MCD का लाइसेंस है. साथ ही इन जगहों पर छात्रों से बिजली और पानी का भी दोगुना बिल वसूला जाता है. इसके अलावा जिस कोचिंग सेंटर में ये छात्र जाते हैं, वहां कम से कम दो लाख रुपये की फीस है. और उनमें भी ज्यादातर में अवैध निर्माण किया गया है. एक-एक क्लास में 300 से 400 छात्र होते हैं और हर छात्र को पढ़ाई करने के लिए अलग से प्राइवेट लाइब्रेरी ज्वाइन करनी होती है और ये लाइब्रेरी भी अवैध बेसमेंट में बनी हुई हैं, जहां छात्रों की जान खतरे में रहती है.
सिर से पैर तक भ्रष्टाचार के पानी में डूबी कोचिंग इंडस्ट्री
इतना ही नहीं, जब ये छात्र खाना खाने के लिए ढाबों पर जाते हैं तो वहां भी इनसे मुंह मांगा पैसा लिया जाता है. बदले में इन्हें घटिया और बासी खाना दिया जाता है. सोचिए ये कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे देश में भविष्य के IAS अधिकारी, जो आगे चलकर देश की व्यवस्था चलाएंगे, आज वो इस भ्रष्ट और अमानवीय स्थिति में जिंदगी के कई वर्ष बिताकर अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. इनमें से भी 0.08 प्रतिशत छात्र पास हो जाते हैं और 99.92 प्रतिशत छात्र कभी भी IAS नहीं बन पाते. लेकिन वो जीवनभर ये जरूर याद रखते हैं कि शिक्षा का ये उद्योग, हजारों करोड़ की ये कोचिंग इंडस्ट्री, सिर से पैर तक भ्रष्टाचार के पानी में डूबी हुई है.
हादसे के बाद उठ रहे तमाम सवाल
ऐसे में कई सवाल भी उठते हैं. जैसे कि इस इलाके में सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स बेसमेंट में बच्चों को कैसे पढ़ा रहे हैं? जबकि इन बेसमेंट में उन्हें सिर्फ सामान को स्टोर करने की या कार पार्किंग बनाने की अनुमति है. इसका मतलब ये हुआ कि MCD और स्थानीय प्रशासन रिश्वत लेकर इन बच्चों की जान खतरे में डाल रहा है. दूसरा सवाल ये है कि PG चलाने वाले लोग अपने घरों में अवैध निर्माण करके ये Hostels कैसे चला रहे हैं?
तीसरा सवाल ये है कि इतनी अमानवीय स्थिति में बाथरूम जितने छोटे कमरों का किराया 10 से 15 हज़ार रुपये कैसे हो सकता है? और ऐसी जगहों को अभी तक सील क्यों नहीं किया गया? और आखिर में जो घटिया क्वालिटी का खाना मुंह मांगे दामों पर बेचा जा रहा है, उसे रोकने के लिए खाद्य विभाग, MCD और स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा है? सोचिए, ये वो छात्र हैं, जो भविष्य में IAS अधिकारी बनकर ये बताएंगे कि देश का अच्छा नागरिक कैसा होना चाहिए और ये भविष्य में इस देश के सिस्टम को बदलेंगे. लेकिन, अभी ये भ्रष्टाचार में डूब चुके इस सिस्टम में संघर्ष कर रहे हैं.
नियमों को तोड़कर पैसे कमाना चाहता है हर कोई
दरअसल, आपने एक शब्द के बारे में सुना होगा, लालच. ये वो लालच है, जिसमें हमारे देश का हर व्यक्ति फंसा हुआ है. आज अगर आप सड़क पर निकल जाएं तो आपको चारों तरफ एक ही चीज़ मिलेगी और वो है, भ्रष्टाचार और बेईमानी. आज हर कोई भ्रष्टाचार के लिए नियमों को तोड़कर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना चाहता है. गरीब, गरीबी से निकलना चाहता है. मिडिल क्लास, अपर मिडिल क्लास में आना चाहता है, अपर मिडिल क्लास अमीर बनना चाहता है और अमीर और भी अमीर बनना चाहता है. पैसे कमाने की इस होड़ में लोग एक दूसरे की जान का सौदा तक कर रहे हैं. और इसी का कारण है कि हमारे देश में सुबह से लेकर शाम तक बेईमानी ही बेईमानी मिलती है.