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जज्बे को सलाम! जान जोखिम में डालकर दी परीक्षा, भाइयों ने कंधे पर पार कराई नदी, देखें Video

छात्रा के भाइयों ने भी अपनी जान जोखिम में डालकर उसे अपने कंधों पर उठाया और नदी पार कराई. तीनों के इस जज्बे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश से जिले के कई इलाकों का संपर्क टूट गया है और वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है.

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भाइयों ने छात्रा को कंधे पर पार कराई नदी
भाइयों ने छात्रा को कंधे पर पार कराई नदी

'बुझी शमां भी जला सकते हो, आंधी से कश्ती निकाल सकते हो, लगातार चलते रहो अपने पथ पर, किस्मत तुम अपनी बदल सकते हो.' मानो ये पंक्तियां आंध्र प्रदेश की 21 वर्षीय छात्रा तड्डी कलावती के लिए ही लिखी गई हैं. जिसके हौसले के सामने नदी भी छोटी पड़ गई. शुक्रवार को गजपतिनगरम मंडल के मारिवलासा गांव की रहने वाली तड्डी कलावती जान जोखिम में डालकर परीक्षा देने पहुंची. कलावती ने अपने दो भाइयों के साथ चंपावती नदी को तैरकर पार किया.

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
छात्रा के भाइयों ने भी अपनी जान जोखिम में डालकर उसे अपने कंधों पर उठाकर नदी पार कराई. तीनों के इस जज्बे का 55 सेकेंड लंबा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. गजपतिनगरम मंडल के मारिवलासा गांव की रहने वाली छात्रा तड्डी कलावती एक निजी फर्म में भी काम करती है. भारी बारिश और चंपावती नदी के उफान के कारण छात्रा शनिवार को अपनी परीक्षा में शामिल होने के लिए शुक्रवार को विजाग जाने का फैसला किया.

भाइयों ने कंधे पर बैठाकर पार कराई नदी
जब उसके भाइयों को अपनी बहन की परीक्षा के बारे में पता चला, उन्होंने उसे नदी पार कराने का फैसला किया ताकि वह विजाग पहुंचकर वाहन का इस्तेमाल कर सके. भाइयों ने तड्डी कलावती को गले तक पानी में अपने कंधों पर उठा लिया. बता दें कि पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश से जिले के कई इलाकों का संपर्क टूट गया है और वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है. भारी बारिश से कई गांव भी जलमग्न हो गए हैं.

100 साल बाद भी तैरकर स्कूल जाते हैं छात्र
आपने पढ़ा या सुना होगा कि 1915-16 में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री गंगा नदी में तैरकर स्कूल जाते थे. लगभग 100 साल बाद भी भारत के कई राज्यों में छात्रों को पढ़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड ऐसे प्रमुख राज्य हैं, जहां हजारों छात्रों को स्कूल जाने के लिए नदी तैरकर पार करनी पड़ती है. शायद यही वजह कि इन राज्यों के छात्र बहुत जल्द ही पढ़ाई छोड़ देते हैं.

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