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80 हजार केस निपटाए, नारदा समेत कई चर्चित मामलों में फैसले... ये हैं SC के नए जज राजेश बिंदल

SC Judge Rajesh Bindal: जस्टिस बिंदल ने अपनी लॉ की डिग्री 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पूरी की और 1985 में वह एडवोकेट के तौर पर बार काउंसिल में एनरोल हुए. सितंबर 1985 में उन्‍होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की. उन्‍होंने लगभग 80,000 मामलों का निपटारा किया है. 

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SC Judge Rajesh Bindal
SC Judge Rajesh Bindal

SC Judge Rajesh Bindal: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज, 13 फरवरी को 2 नए जजों की नियुक्ति के साथ ही अपनी पूरी स्‍ट्रेन्‍थ हासिल कर ली. न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार के शपथ लेने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पर 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत स्‍ट्रेन्‍थ पूरी हो गई. वरिष्ठता के मामले में न्यायमूर्ति बिंदल देश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सुबह 10:30 बजे दोनों न्यायाधीशों को शपथ दिलाई. आइये जानते हैं कौन हैं सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए नए जज राजेश बिंदल.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुए प्रमोट
न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को इलाहाबाद उच्च हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया है. वह हाईकोर्ट में अक्टूबर 2021 से मुख्य न्यायाधीश थे. न्यायमूर्ति बिंदल का मूल कैडर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय है. उन्होंने जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में भी काम किया. 

80 हजार मामलों में सुनाया फैसला
जस्टिस बिंदल ने अपनी लॉ की डिग्री 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पूरी की और 1985 में वह एडवोकेट के तौर पर बार काउंसिल में एनरोल हुए. सितंबर 1985 में उन्‍होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की. 22 मार्च, 2006 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति बिंदल ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 80,000 मामलों का निपटारा किया है. 

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इन चर्चित केसेज़ की सुनवाई
राजेश बिंदल पश्चिम बंगाल के बेहद चर्चित नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस की सुनवाई करने वाले एक्टिंग चीफ जस्टिस भी रहे. 2017 में उन्‍होंने 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल, 2006'के खिलाफ केस की सुनवाई की. अक्‍टूबर 2019 में उन्‍होंने जम्‍मू- कश्‍मीर में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में अवैध कोल माइनिंग और हरि‍याणा में जॉब रेगुलराइज़ेशन पॉलिसी आदि मामलों की सुनवाई उनके केसेज़ में शामिल है.

 

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