सुशील चंद्रा को मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. चंद्रा ने सुनील अरोड़ा का स्थान लिया है, जिनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद सोमवार को चंद्रा को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था.
चंद्रा को लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 14 फरवरी 2019 को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. वह चुनाव पैनल में शामिल होने से पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष थे.
चंद्रा का कार्यकाल एक साल तक यानी 14 मई 2022 तक रहेगा. इस अवधि के दौरान वो गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की देखरेख करेंगे.
जानिए क्या है प्रोफाइल
15 मई, 1957 को जन्मे सुशील चंद्रा ने रुड़की विश्वविद्यालय से बी.टेक की डिग्री पूरी की है. इसके अलावा उन्होंने देहरादून के डीएवी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की है. साल 1980 में उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (आयकर कैडर) में शामिल होने से पहले, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में थे.
सुशील चंद्रा ने 38 वर्षों तक राजस्व सेवा अधिकारी के रूप में कार्य किया है. फिर उन्होंने नवंबर 2016 से फरवरी 2019 तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. चंद्रा उन अधिकारियों में शामिल थे जो काले धन के खिलाफ केंद्र सरकार की लड़ाई में सबसे आगे थे. साल 2016 में सीमांकन के मद्देनजर कर चोरी के खिलाफ सीबीडीटी की कार्रवाई की पुष्टि की.
उन्होंने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और मुंबई में सेवा की है और अंतर्राष्ट्रीय कराधान के क्षेत्रों में काम किया है. इसके अलावा वह दिल्ली में आयकर (अपील) अंतर्राष्ट्रीय कराधान के आयुक्त रहे हैं.
ये होगी जिम्मेदारी
बता दें कि सुशील चंद्रा चुनाव आयोग (ईसी) को ऐसे समय में ज्वाइन कर रहे हैं जब कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच चुनाव हो रहे हैं. कार्यभार संभालने के 24 घंटे के भीतर उन्होंने तीन त्वरित निर्णय लिए. इसमें पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं के खिलाफ उनकी टिप्पणी, बंगाल में बाकी चरणों के लिए कड़ी सुरक्षा, और पांचवें चरण के मतदान के लिए मौन अवधि का विस्तार 48 घंटे से 72 घंटे तक करना शामिल था.
चुनाव आयोग ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को राज्य में चुनाव प्रचार के लिए 24 घंटे के लिए प्रतिबंधित कर दिया और कूचबिहार सीआरपीएफ गोलीबारी की घटना पर टिप्पणी करने के लिए भाजपा नेता साईंतन बसु को भी नोटिस जारी किया.
चुनाव आयोग के कार्य में नई पहचान लाना
चुनाव आयुक्त के रूप में, सुशील चंद्रा ने नामांकन, पोस्टल बैलेट सुविधाओं और मतदाता पहचान पत्र को ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा दिलाई. वो चुनावों के दौरान प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर देते हैं.
वह चुनाव हलफनामे के प्रारूप को और सारगर्भित और कसा हुआ बनाने के पक्षधर हैं. ताकि हलफनाम में सुनिश्चित हो सके कि उम्मीदवार अपनी संपत्ति को सही ढंग से घोषित करते हैं या नहीं. चल रहे चुनावों की निगरानी के अलावा, वह परिसीमन आयोग के एक पदेन सदस्य भी हैं जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने का काम करता है.