मर्द को दर्द नहीं होता, लड़के कभी रोते नहीं, मर्द बनो-क्या औरतों की तरह रोने लगते हो...ये कुछ ऐसे डायलॉग हैं जो मर्दों की मजबूती का सर्टिफिकेट माने जाते हैं. लोगों ने किस आधार पर ये बातें कहीं, इसके कोई प्रमाण नहीं हैं.
चिकित्सा विज्ञान से लेकर मनोविज्ञान तक कहीं भी ये सिद्ध नहीं हो सकता कि मर्द को दर्द नहीं होता. एक सामाजिक प्राणी जो सभी मनोभावों को महसूस कर सकता है, उसे अगर दर्द नहीं होता, वो रोता नहीं तो वो नॉर्मल कैसे हुआ. मानसिक रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि मर्दों को डिप्रेशन या दुख औरतों के बराबर ही महसूस होता है लेकिन उनके लक्षण और उन्हें व्यक्त करने का तरीका औरतों से अलग होता है.
कैसे अलग होते हैं लक्षण:
IHBAS दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि औरत और मर्द दोनों दुख और अवसाद का बराबर अनुभव करते हैं लेकिन उनके लक्षण अलग हो सकते हैं. जब पुरुष उदास होते हैं तो वे दुखी होने के बजाय क्रोधित या आक्रामक प्रतीत हो सकते हैं. ऐसे में उनका परिवार, दोस्त और यहां तक कि उनके डॉक्टर तक कई बार क्रोध या आक्रामकता को अवसाद के लक्षणों के रूप में नहीं पहचान सकते हैं. वहीं पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अवसाद को पहचानने, उसके बारे में बात करने और उपचार की तलाश करने की संभावना भी कम होती है. फिर भी डिप्रेशन बड़ी संख्या में पुरुषों को प्रभावित करता है.
मर्दों में कैसे होते हैं डिप्रेशन के लक्षण:
अलग-अलग पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण भी अलग होते हैं, इनमें से अवसाद के कुछ सामान्य लक्षण नीचे दिए गए हैं. लेकिन जरूरी नहीं है कि दुखी रहने वाला हर आदमी हर लक्षण का अनुभव करे. कुछ पुरुष केवल कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं जबकि अन्य कई लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं.
ये होती हैं पुरुषों में डिप्रेशन की वजहें
US में पुरुषों में डिप्रेशन सबसे आम मेंटल डिसऑडर्स में से एक है. हालिया शोध बताते हैं कि पुरुषों के डिप्रेशन के पीछे कई वजहें हैं, इनमें से कुछ वजहें यहां दी जा रही हैं.
जेनेटिक फैक्टर्स: डिप्रेशन की फैमिली हिस्ट्री वाले पुरुषों में इसके विकसित होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक हो सकती है जिनके परिवार के सदस्यों को यह बीमारी नहीं है.
एनवायर्नमेंटल स्ट्रेस: फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स, किसी प्रियजन के जाने का दुख, एक कॉम्प्लीकेटेड रिलेशन, जीवन में अचानक बड़ा चेंज, वर्कप्लेस की समस्याएं या कई बार कोई तनावपूर्ण स्थिति कुछ पुरुषों में डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकती है.
लंबी बीमारी: डिप्रेशन की एक वजह कई बार चिकित्सीय बीमारियां या गंभीर रोग भी बनते हैं. जैसे मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, या पार्किंसंस रोग वाले पुरुष भी डिप्रेशन में चले जाते हैं. डिप्रेशन इन स्थितियों को बदतर बना सकता है. कभी-कभी, इन बीमारियों के लिए ली जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो डिप्रेशन को ट्रिगर या खराब हालत तक पहुंचा सकते हैं.
पुरुषों के इलाज मुश्किल मगर जरूरी, ये हैं कारगर तरीके
पूरी दुनिया में मर्दों को समाज में पहले दर्जे का जेंडर बना दिया गया है या यूं कहें कि पुरुषों ने खुद इसे गूढ़ रहस्य की तरह सच साबित करने में कसर नहीं छोड़ी है. यही वजह है कि पुरुष अक्सर अपनी भावनाओं को संबोधित करने से बचते हैं.
कई मामलों में दोस्तों और परिवार के सदस्यों को सबसे पहले पता चलता है कि उनका प्रिय व्यक्ति उदास है. इसलिए जरूरी है कि दोस्त और परिवार अपने प्रियजन का कठिन समय में साथ दें और उसे डॉक्टर या मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलने के लिए प्रोत्साहित करें. एक हेल्थ प्रोफेशनल अन्य स्थितियों का पता लगाने के लिए एक टेस्ट या लैब टेस्ट कर सकता है जिसमें अवसाद जैसे लक्षण पता चल सकते हैं. वो ये भी बता सकता है कि कुछ दवाएं डिप्रेशन को प्रभावित कर रही हैं या नहीं.
डॉक्टर को डिप्रेशन की पुष्टि या इलाज से पहले व्यक्ति के पूरे लक्षणों की हिस्ट्री की जरूरत होती है. जैसे कि ये लक्षण कब शुरू हुए, फिर कितने समय तक रहे, वे कितने बुरे हैं, क्या वे पहले हुए हैं, और यदि हां, तो उनका इलाज कैसे किया गया. यह भी महत्वपूर्ण है कि मदद मांगने वाला व्यक्ति शराब, ड्रग्स, जुआ, या हाई रिस्क एक्टिविटीज में इनवाल्व तो नहीं रहा. एकबार पता चलने के बाद डिप्रेशन का इलाज आमतौर पर दवाओं या मनोचिकित्सा या दोनों को मिलाकर किया जाता है. इलाज के लिए मनोचिकित्सा में कई काग्निटिव बिहैविरल थेरेपी उपलब्ध हैं.