अखबार, टीवी, मोबाइल में हम अक्सर सुसाइड की खबरें पढ़ते और देखते हैं और दिन बीतने के साथ उसे भूल जाते हैं, लेकिन जिस तरह हमारे आस-पास आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जरूरी है कि इस समस्या पर गंभीरता से बात करें. दरअसल, आत्महत्या करना कायरता है और सुसाइड के विचार आना एक मनोवैज्ञानिक समस्या है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, हर साल 700,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. लेकिन इन आत्महत्या की घटनाओं को रोका का जा सकता है. ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो आत्महत्या की घटनाओं को रोकने में मदद करती हैं.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 10 में से एक वयस्क कभी न कभी अपने जीवन में सुसाइड के बारे में जरूर सोचता है. हालांकि, जिस व्यक्ति के मन में सुसाइड के विचार आ रहे हैं, उसकी मदद की जा सकती है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीके जिनसे आप उन लोगों की मदद कर सकते हैं, जो इस समस्या से गुजर रहे हैं.
भोपाल के बंसल हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी ने आत्महत्या के विचारों से डील करने के तरीकों पर कहा, इस बात को मानना होगा कि ऐसे विचार हमें तनाव की स्थिति में आ सकते हैं और हमें हेल्प की जरूरत है. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि जब मन में ऐसे विचार आ रहे हों तो इसपर एक्ट नहीं करना चाहिए, हो सकता है वो कल जीना चाहें. उन्होंने ये भी बताया कि ऐसे विचार आने पर आपको खुद को जज नहीं करना बल्कि यह मानकर चलना है कि ऐसे विचार तनाव का परिणाम हैं और आपको मदद लेने की दिशा में आगे बढ़ना है. अगर आपके मन में ऐसे विचार आ रहे हैं तो आपको अपने दोस्तों और परिजनों से बात करनी चाहिए. वहीं, अगर आपको ऐसे विचार ज्यादा परेशान कर रहे हैं तो आप अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर भी मदद ले सकते हैं.
सुसाइड के विचार से डील करने के और भी कई तरीके हैं. इनमें से पहला तरीका है-
समस्या का हल ढूंढना: सुसाइड के विचार से डील करने के लिए जरूरी है कि आप जिस समस्या की वजह से सुसाइड के विचार मन में ला रहे हैं, उस समस्या को सुलाझाने के और तरीकों के बारे में सोचें. उन सारे सुझावों की एक लिस्ट बनाइए, जिनसे आप अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं. आप अपनी समस्या के बारे में किसी करीबी की मदद ले सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा करने से मन में आ रहे आत्महत्या के विचारों को रोकने में मदद मिलती है.
जीने की वजह ढूंढें: मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आत्महत्या के बारे में सोचने वाले लोग दरअसल, अपने दर्द और तकलीफ से भागना चाहते हैं, लेकिन वो मरना नहीं चाहते. इसलिए जब भी किसी को सुसाइड करने जैसे विचार आ रहे हैं तो उन्हें अपने दिमाग को उन चीजों पर फोकस करना है, जिसकी वजह से वो जीने की इच्छा अपने मन में लाएं. आपको उन चीजों के बारे में सोचना है, जिसमें आप अपने जीने की वजह को ढूंढ पाएं. आपको ऐसी वजहों को एक डायरी में लिखना चाहिए जो आपको जीने के लिए प्रेरित करती हैं. इसके बाद आप जब भी लाइफ में लो महसूस करें, इस लिस्ट को देखें और जीने की सोचें.
उन चीजों को याद रखें, जिनकी वजह से आपको पास्ट में मदद मिली है: आपके जीवन में कई तरह की समस्याएं आती हैं. कभी ये समस्याएं बड़ी होती हैं और कभी छोटी. इसलिए जब भी किसी के मन में सुसाइड का विचार आए, उन्हें उन चीजों को याद करना चाहिए जिनकी वजह से अतीत में उनकी समस्याएं हल हुई हैं. जब आप ऐसी चीजों पर फोकस करेंगे तो आपके मन में अपनी वर्तमान की समस्या को हल करने के विचार आएंगे.
अपने विचारों के विपरीत काम करें: मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब भी आपके मन में सुसाइड का विचार आए तो आपको अपने विचारों से विपरीत काम करना चाहिए. जैसे कि जब हम अवसादग्रस्त (Depressed) होते हैं, हमारा मन अकेले रहने का होता है. लेकिन आपको अपने इस विचार के विपरीत काम करना है. आपको अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ समय बिताना चाहिए.
सुसाइड के विचारों को दूर रखने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद लें: अगर किसी को बार-बार सुसाइड के विचार आ रहे हैं तो जरूरी है कि वो मनोवैज्ञानिकों या मनोचिकित्सक की मदद ले. बार-बार सुसाइड के विचार आना एक मानसिक समस्या को दर्शाता है और आपको इससे निकलने के लिए जल्द से जल्द मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए.
उन स्थितियों और ट्रिगर्स की पहचान करें, जो आपको डिप्रेस करती हैं: उन स्थितियों की पहचान करें जिससे आपकी निराशा और सुसाइड के विचार बढ़ते हैं. ऐसी स्थितियों की पहचान करने के बाद कोशिश करें कि आप ऐसी परिस्थितियों से खुद को दूर रखें. जब आप ऐसी परिस्थितियों से दूर रहेंगे आप अपने बारे में ज्यादा बेहतर सोच पाएंगे.