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'ज्यादा ईमानदारी भी सही नहीं', चाणक्य नीति से ऐसे हों बिजनेस में सफल

'ज्यादा ईमानदारी भी सही नहीं', चाणक्य नीति से ऐसे हों बिजनेस में सफल
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चाणक्य को भारत में आर्थिक विषयों और रानजीति का ज्ञाता माना जाता है. चाणक्य की नीतियों के बारे में कहा जाता है कि इन्हें न तो उनके दुश्मन समझ पाते थे न ही भांप पाते थे. चाणक्य ने मौर्य वंश की स्थापना में अहम योगदान दिया. वह चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार थे. आज के समय में भी लोग चाणक्य नीति को फॉलो करते हैं. आप भी अगर अपना कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ऐसे में आज हम बता रहे हैं चाणक्य नीति को अपनाकर कैसे एक स्टार्ट अप को शिखर तक पहुंचा सकते हैं.
'ज्यादा ईमानदारी भी सही नहीं', चाणक्य नीति से ऐसे हों बिजनेस में सफल
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जो लोग अपना बिजनेस शुरू कर रहे हैं उनके लिए चाणक्य की ये नीति काम आ सकती है. चाणक्य का कहना था कि मुसीबत के समय पैसा किसी से उधार न लें बल्कि मुसीबत के लिए पैसा बचाकर रखें. वहीं उनकी नीति के अनुसार जब हम आप बिजनेस करते हैं तो बिजनेस में सबसे ज्यादा जरूरी पैसे नहीं बल्कि नाम होता है. यदि बिजनेस में आपकी कंपनी का नाम डूब जाता है तो उसे कमाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में एक बिजनेसमैन को पैसे कमाने से पहले ये सोचना चाहिए कि वह अपने बिजनेस का नाम कैसे बढ़ाएं.




'ज्यादा ईमानदारी भी सही नहीं', चाणक्य नीति से ऐसे हों बिजनेस में सफल
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आचार्य चाणक्य बताते हैं जो व्यक्ति गंदी भाषा का प्रयोग करता है वह जल्दी ही बर्बाद हो जाता है. आज भी कई बिजनेस व्यापारियों की मीठी बोली और साफ दिल पर टिका है.
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आचार्य चाणक्य की नीति के अनुसार ज्यादा ईमानदारी भी सही नहीं मानी गई है, क्योंकि 'सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे पहले काटे जाते हैं.' ऐसे में एक बिजनेसमैन के तौर पर अपनी बात सबके सामने नहीं बोलनी चाहिए. चाणक्य नीति के अनुसार ये नहीं कि ईमानदारी ही भूल जाओ बल्कि आपको थोड़ा चतुर होने की जरूरत है. ताकि आपका आइडिया कोई कॉपी न कर सके.
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बिजनेस में सफलता चाहते हैं तो किसी भी ऐसे व्यक्ति से दोस्ती न बनाएं जो नेगेटिव हो ऐसे में आपका ही मूड खराब होगा. जिसका असर आपके बिजनेस पर ही पड़ सकता है.

चाणक्य नीति के अनुसार एक ज्ञानी पुरुष भी उस समय दुखी हो जाता है जब वह किसी मूर्ख व्यक्ति का उपदेश सुनता है या वह दुष्ट पत्नी का पालन पोषण करता है.
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एक बिजनेसमैन को अलग- अलग व्यवहार वाले व्यक्तियों से मिलना जुलना होता है. उनके सामने अपनी बात रखनी होती है. ऐसे में आचार्य चाणक्य कहते थे 'अलग- अलग व्यवहार के लोगों से डील करने का तरीका अलग- अलग है और किसी व्यक्ति से कैसे व्यवहार करना है बिजनेसमैन को पता होना चाहिए.'
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आचार्य चाणक्य बताते हैं एक घमंडी को इज्जत देकर आप जीत सकते हैं. एक मूर्ख व्यक्ति को मूर्खता करने दो वह खुश रहेगा और केवल समझदार इंसान को ही सच बोलकर जीता जा सकता है. आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी दोस्ती के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता है. ऐसे में एक बिजनेसमैन को ये सोचना चाहिए कि कोई उससे दोस्ती कर रहा है तो उसके पीछे उस इंसान का क्या स्वार्थ छिपा है.


All Photos: getty images
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