भारत और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद
हुए हैं. इनमें 16 बिहार रेजिमेंट के जांबाज अफसर कर्नल बी संतोष बाबू भी
शामिल हैं. बी संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट में 2 दिसंबर 2019 से पोस्टेड
थे. आइए जानें बिहार रेजिमेंट के इतिहास के बारे में जिसके शौर्य और गौरव की गाथाएं आज भी लोगों की जुबान पर हैं.
बिहार रेजिमेंट की स्थापना साल 1941 में की गयी थी. इस रेजिमेंट ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भी हिस्सा लिया था. इसके बाद भारत-पाक के सभी युद्धों में इस रेजिमेंट ने भागीदारी की. कारगिल युद्ध में भी इस रेजिमेंट ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
भारतीय थल सेना में बिहार रेजिमेंट नई है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जब सिंकदर ने भारत पर आक्रमण किया था तब भी इस रेजिमेंट ने उसके साथ युद्ध किया था. बिहार के जवानों ने देशसेवा में हमेशा ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. मातृभूमि को दासता और गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वालों में इन्होंने अपना नाम अपने खून से लिखा है.
1857 के स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने ब्रिटिश शासन की चूलें हिला दी थीं. जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह के साथ, 1899 में आदिवासी अंचल में बिरसा मुंडा के साथ इन बिहारियों ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए. रेजिमेंट ने अपनी वीरता और साहस से भारतीय सेना में रेजिमेंट का नाम सभी क्षेत्र में ऊंचा कर दिया. युद्ध क्षेत्र से खेल के मैदान तक इस रेजिमेंट ने कुशलता और वीरता का परिचय दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध् के दौरान रेजिमेंट के प्रथम बिहार बटालियन के जवानों ने वर्मा की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया और उन्होंने हाका और गैंगा नामक स्थानों पर विजय प्राप्त किया था. इस कामयाबी पर यूनिट को बैटल ऑनर हाका और गैंगा से सम्मानित किया गया है.
आजादी के समय से रेजिमेंट ने हैदराबाद पुलिस कार्यवाही और गुजरात की कार्यवाही जिसमें पश्चिमी पाकिस्तान से शारणर्थियों को बाहर निकाला गया था, इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वहीं गोवा के मुक्ति ऑपरेशन में भी रेजिमेंट के जवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
रेजिमेंट के जवानों ने चीन के 1962 के आक्रमण, भारत-पाक के 1965 के युद्ध्, 1971 के भारत -पाक युद्ध् के दौरान साहसपू्र्ण कार्य किया. इसके लिए यूनिट को थिएटर ऑनर अखौड़ा से सम्मानित किया गया है. इतना ही नही ऑपरेशन विजय में प्रथम बिहार बटालियन ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ाते हुए जुबार हिल व थारू पर कब्जा किया.
इस यूनिट को बैटल ऑनर बटालिक व थिएटर ऑनर कारगिल से सम्मानित किया जा चुका है. श्रीलंका में ऑपरेशन में अदम्य वीरता से दुश्मनों को पछाड़ दिया. रेजिमेंट ने देश के उत्तरी-पूर्वी भाग और जम्मू -कश्मीर में आंतकवाद से लड़ाई लड़ने में सक्रिय रूप से भाग लिया है.