रविवार को बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या के बाद पुलिस-प्रशासन और मीडिया इसके पीछे किसी शख्स या हालात जैसी कई वजहें तलाश रही है. वहीं मनोचिकित्सकों की नजर में आत्महत्या के पीछे की वजहें कोई हालात या कोई शख्स आदि नहीं होता. डॉक्टर बार-बार आत्महत्या का विचार आने के पीछे की वजह कुछ और ही मानते हैं. आइए जानते हैं आत्महत्या के पीछे के कारण और ये भी जानें कि किस तरह आत्महत्या का विचार आने से परेशान लोगों को इससे निकाला जा सकता है.
IHBAS (इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहैवियर एंड एलाइड साइंसेज) के मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि आत्महत्या का विचार आना किसी हालात या शख्स के कारण नहीं होता. ये पूरी तरह से केमिकल लोचा है. ये बायोलॉजिकल और मेडिकल कारणों से होता है.
डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि सुसाइड को मेडिकल इमरजेंसी की तरह लेना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को बार-बार सुसाइड करने के विचार आ रहे हैं तो ये एक तरह की मनोवैज्ञानिक समस्या है. लेकिन अगर ये विचार इतने बलवती हो रहे हैं कि व्यक्ति हर हाल में खुद का हनन करना चाहता है तो ये एक मेडिकल इमरजेंसी है.
डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि अगर इस तरह की गंभीर मानसिक समस्या से जूझ रहा व्यक्ति मनोचिकित्सक के पास जाता है तो उसे मेडिकल इमरजेंसी की तरह ट्रीट करना चाहिए. और उसे भर्ती करके इलाज करना चाहिए.
मनोचिकित्सा में Electroconvulsive therapy (ECT) समेत अन्य पद्धतियों से उसका इलाज करना चाहिए. डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि ऐसे मरीजों को काउंसिलिंग या दवाओं के बजाय थेरेपी के जरिए ठीक करने की ओर फोकस करना चाहिए. अगर आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो आत्महत्या के ख्यालों से जूझ रहे हैं तो उन्हें तत्काल मनोचिकित्सक के पास ले जाएं.
डॉ ओमप्रकाश का कहना है कि मनोचिकित्सा के क्षेत्र में आत्महत्या के पीछे कारक कोई हालात या वजह कभी नहीं होती. इसे एक्टर सुशांत सिंह या अन्य आत्महत्या करने वाले लोगाें के उदाहरण से इस तरह से समझना चाहिए कि देश में ऐसे कई लाख लोग हैं जो ऐसे या इससे बुरे हालातों में जी रहे हैं, लेकिन वो आत्महत्या का कदम नहीं उठाते.
लेकिन जो लोग लंबे समय से एंजाइटी या डिप्रेशन से जूझ रहे हैं और इसका इलाज करा रहे हैं. उनमें आत्महत्या के विचार आएं तो इसे समझने और मेडिकल इमरजेंसी की तरह लेना बहुत जरूरी है. अगर आपके परिवार में मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे लोग कोई संकेत देते हैं तो उसे समझें और उन्हें बचाने में जुट जाएं. डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे मरीजों के लिए हालात समस्या को बढ़ाने या ट्रीटमेंट में बाधक बन सकते हैं लेकिन ये वजह बिल्कुल नहीं होते.
इसलिए जब मानसिक बीमारियों से परेशान लोग सोशल मीडिया या अन्य तरीकों से अपने आत्मघाती विचारों का संकेत देते हैं तो उसे समझना बहुत जरूरी होता है. इसे हालात की वजह समझकर उसे टालने काउंसिलिंग या दवा के भरोसे छोड़ देने से कई बार समस्या खत्म होने के बजाय और बढ़ जाती है.