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एजुकेशन

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, गरीब परिवार के बच्चों को लैपटॉप दिया जाए

प्रतीकात्मक फोटो
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याचिका एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल की तरफ से वकील खगेश झा ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में प्राइवेट स्कूल में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में पढ़ने वाले 50 हज़ार से ऊपर बच्चे फ़िलहाल ऑनलाइन क्लासेज से दूर हैं.

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राजधानी दिल्ली में  तकरीबन दो हजार से ऊपर प्राइवेट स्कूल हैं  और लगभग सभी में फ़िलहाल ऑनलाइन क्लासेस से माध्यम से ही पढ़ाई की जा रही है.कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के लिए ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों को लैपटॉप टेबलेट या फिर उस तरह के मोबाइल उपलब्ध कराएं जिससे वह बाकी और बच्चों की तरह ऑनलाइन पढ़ाई कर सके

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 कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसके अलावा बच्चों को हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जाए. हाई कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 10 जून को करेगा.

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हाईकोर्ट ने कहा है कि ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों को इंटरनेट ऑल लैपटॉप प्राइवेट स्कूलों को खरीद कर देने होंगे उसके बाद प्राइवेट स्कूल इसके भुगतान के लिए दिल्ली सरकार को बिल भेज सकते हैं राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत इस पर आने वाले खर्च में से 60 फ़ीसदी केंद्र सरकार को जबकि 40 फ़ीसदी दिल्ली सरकार को वहन करना होगा.

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10 मार्च को होली की छुट्टियों के बाद से ही दिल्ली में प्राइवेट स्कूल दोबारा नहीं खुल पाए हैं. पिछले 2 महीने से प्राइवेट स्कूल हर रोज दिन में 1 से दो बार ऑनलाइन क्लासेस बच्चों को दे रहे हैं.

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कक्षा 1 से 8 तक खास तौर से ऑनलाइन के माध्यम से ही पढ़ाई हो रही है. कक्षा 10 से 12 के बीच में भी बच्चों की समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षक ऑनलाइन मदद कर रहे हैं.

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याचिका में कहा गया है ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चे शिक्षा से दूर हैं, क्योंकि लॉक डाउन में स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, लेकिन लैपटॉप मोबाइल ना होने के चलते और यह बच्चे अपनी पढ़ाई से भी दूर है और पढ़ाई में पिछड़ भी रहे हैं.

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बता दें कि कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की स्थ‍िति है, इसे देखते हुए सरकार ने भी सभी स्कूलों से कहा है कि वो बच्चों को ऑनलाइन श‍िक्षा से जोड़ें. लेकिन निम्न आय वर्ग के पास ये सुविधा न होने से देश के लाखों बच्चे ऑनलाइन श‍िक्षा से वंचित हैं. इनमें खासकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हैं.

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