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रेलवे ने कर दिया था Disability के कारण रिजेक्‍ट, IAS बन दिया जवाब

रेलवे ने कर दिया था Disability के कारण रिजेक्‍ट, IAS बन दिया जवाब
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किसी का शारिरिक रूप से कमजोर होना उसके अंदर के हौसले को कम नहीं कर सकता. ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है जेएनयू की पीएचडी स्कॉलर प्रांजल पाटिल ने.
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सफलता के बाद दिव्यांगता को कमी बताकर ठुकराने वालों को यूपीएससी परीक्षा 2016 में 124 रैंक हासिल कर प्रांजल पाटिल ने करार जवाब दिया. प्रांजल ने दिव्यांग वर्ग में भी टॉप किया.
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प्रांजल का सपना अब IAS बन देश की सेवा करना है. मां को अपना आइडियल मानने वाली प्रांजल आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा पाती हैं.
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प्रांजल उन लोगों को दिखाना चाहती थी कि वह दिव्यांग नहीं थी, बल्कि यह उनकी सोच थी जिसने प्रांजल के जज्बे को समझने में देर कर दी.
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International Relation में PHD Scholar प्रांजल पाटिल बेशक आंखों की रोशनी न होने के चलते इस दुनिया के रंगों को देख नहीं सकतीं पर वो उन्हें महसूस करती हैं.
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महज छह साल की उम्र में अचानक आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी प्रांजल अपनी मां ज्योति पाटिल की आंखों से दुनिया के अलग रंगो को देख रही थीं.
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यूपीएससी परीक्षा 2015 में 773 रैंक लेने के बाद रेलवे मंत्रालय ने प्रांजल पाटिल को नौकरी देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्होंने उसकी नेत्रहीनता को कमी का आधार बनाया था.
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इनकार के बावजूद प्रांजल ने यूपीएससी परीक्षा की दोबारा तैयारी शुरू की और 2016 में 124वां रैंक हासिल किया.
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महाराष्ट्र की रहने वाली प्रांजल खुद में अपनी मां की छवि देखती हैं और पिता उन्हें आगे बढ़ने की जिद का सपना पूरा करने में हमेशा मदद करते हैं.
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