इन दिनों निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' चर्चा में हैं. फिल्म में पद्मावती और मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी के रिश्तों को लेकर राजस्थान, गुजरात समेत कई राज्यों में रिलीज का विरोध हो रहा है. सभी राजनीतिक पार्टियों से लेकर कई राजपूत संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
हालांकि कई लोगों का कहना है कि इतिहास में पद्मावती का कोई जिक्र नहीं है. हालांकि बताया जाता है कि पद्मावती चितौड़ के महाराजा रावत कचन सिंह की पत्नी थीं और खिलजी ने चितौड़ पर हमला भी किया था, जिसमें रतन सिंह हार गए थे. जिसकी वजह से रानी पद्मिनी ने कई रानियों के साथ जौहर कर लिया था.
कहा जाता है कि रतन सिंह ने एक स्वयंवर में रानी पद्मिनी से शादी की थी. कहा जाता है कि सुल्तान खिलजी ने राजा रतन सिंह को बंदी बना लिया था, बाद में राजा के लड़ाकों ने उन्हें आजाद कराया. साथ ही खिलजी ने पद्मिनी के प्रतिबिंब को पानी में देखा था.
बता दें कि रतन सिंह महाराजा समर सिंह के पुत्र थे, जिन्होंने 1273 से 1301 तक चितौड़ पर शासन किया था, उसके बाद समर सिंह के पुत्र रतन सिंह मेवाड राज्य के उत्तराधिकारी बने. रतन सिंह गुहिल वंश की रावल शाखा से ताल्लुक रखते हैं. रतन सिंह ने 1301 से 1303 तक मेवाड़ पर राज किया. हालांकि अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ पर अधिकार कर लिया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सल्लतनत और राजपूतों में संघर्ष होने के बाद चितौड़ में भी संघर्ष हुआ. खिलजी को अपना साम्राज्य बढ़ाना था और उसके बाद राजनीतिक कारणों से खिलजी ने चितौड़ पर हमला किया था.
बता दें कि खिलजी की तरह कुत्तुबुद्दीन ऐबक अजमेर, इल्तुत्मिश जालौर, रणथंभौर में सक्रिय रहे. बल्बन ने मेवाड़ में कोशिश की, लेकिन कुछ खास नहीं कर सके.
ऐसा भी कहा जाता है कि चित्तौड़ में 30 हजार हिंदू मारे गए. मंदिर बर्बाद किए गए और इसका नाम बदलकर खिज्राबाद किया गया.
राजा रतन सिंह से पहले उनके पिता समर सिंह यहां की सत्ता संभालते थे. उनसे पहले राणा तेज़ सिंह और उनसे पहले राणा जयत्र सिंह.
वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि जायन-उल-फुतुह में ना रतन सिंह के मरने का जिक्र है, ना ही पद्मिनी के सती होने का उल्लेख है.