साल 1576 को हुए हल्दी घाटी के भीषण युद्ध में जीत महाराणा प्रताप की हुई थी. ये दावा किया है महाराणा प्रताप पर रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ. चन्द्र शेखर शर्मा ने. डॉ. शर्मा ने इसके लिए सुबूत भी हाजिर किए हैं.
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था. अभी तक ये कहा जाता रहा है कि इस युद्ध में अकबर की जीत हुई थी पर अब राजस्थान एजुकेशन बोर्ड 441 साल पहले हुए इस युद्ध का परिणाम बदलने की तैयारी कर रहा है. इसका आधार डॉ. शर्मा की रिसर्च है.
राजस्थान विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय में उदयपुर के मीरा कन्या महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉ. चन्द्र शेखर शर्मा ने अपनी रिसर्च में कहा है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने जीत हासिल की थी. डॉ. शर्मा ने विजय को दर्शाने वाले प्रमाण रजत विद्यालय विश्वविद्यालय में जमा कराए हैं.
डॉ. शर्मा ने अपने शोध में प्रताप की विजय को दर्शाते हुए ताम्र पत्रों से जुड़े प्रमाण पेश किए हैं. उनके अनुसार युद्ध के बाद अगले एक साल तक प्रताप ने हल्दीघाटी के आस-पास के गांवों के भूमि के पट्टों को ताम्र पत्र जारी किए.
इन ताम्रपत्रों पर एकलिंगनाथ के दीवान प्रताप के हस्ताक्षर थे. उस समय भूमि पट्टे जारी करने का अधिकार केवल राजा के पास ही होता था.
डॉ. शर्मा ने कहा है कि युद्ध के बाद मुगल सेनापति मान सिंह और आसिफ खां से युद्ध के नतीजों के बारे में जानकर अकबर नाराज हुआ था. दोनों को छह महीने तक दरबार में ना आने की सजा दी गई थी.
शर्मा कहते हैं कि अगर मुगल सेना जीतती तो अकबर अपनी सबसे बड़ी विरोधी प्रताप को हराने वाले को पुरस्कृत जरूर करते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, जो इस बात का सुबूत है कि प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध को जीता था. मेवाड़ के कई अन्य इतिहासकार भी इस शोध को सही कह रहे हैं.