राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA कैंडिडेट रामनाथ कोविंद के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया है. मीरा लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला हैं. जानिए उनकी सभी पर्सनल बातें :-
बिहार के कांग्रेस नेता और नेहरू कैबिनेट के सबसे यंग मेंबर जगजीवन राम और पत्नी इंद्राणी देवी की बेटी मीरा का जन्म 31 मार्च 1945 को पटना में हुआ.
मीरा ने अपनी स्कूली पढ़ाई वेलहम गर्ल्स स्कूल, देहरादून और महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल, जयपुर से पूरी की. दिल्ली के आईपी और मिरांडा कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन और पीजी लेवल की पढाई की. मीरा ने इंग्लिश में MA के बाद LLB की पढ़ाई की है.
लॉ की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात मंजुल कुमार से हुई . मंजुल बिहार के राजनीतिक परिवार से थे. उनकी मां सुमित्रा देवी कांग्रेस की नेता थीं. 29 नवंबर 1968 को मीरा और मंजुल ने शादी की. ये एक अंतरजातीय विवाह था. मंजुल बिहार की कोइरी जाति से आते हैं, जो ओबीसी में गिनी जाती है, जबकि मीरा कुमार दलित परिवार से हैं.
1973 में मीरा कुमार इंडियन फॉरेन सर्विस की अफसर बनीं. मीरा के पिता ने 12 साल स्पेन, इंग्लैंड और मॉरीशस में सर्विस की. 1977 में जगजीवन राम जनता पार्टी की सरकार में देश के उप प्रधानमंत्री बने, तब मीरा कुमार की लंदन के इंडियन हाई कमीशन में पोस्टिंग हुई.
मीरा कुमार एक प्रोफेशनल के तौर पर स्थापित हो चुकी थीं. पति मंजुल सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे. दो बच्चे बेटा, अंशुल और दो बेटियां, स्वाति और देवांगना है. इन तीनों की भी शादी हो चुकी है.
70 के दशक के आखिर तक जगजीवन राम का राजनीतिक वारिस बेटे सुरेश राम को माना जा रहा था. लेकिन डीयू की एक लड़की सुषमा चौधरी के साथ मैगजीन में सुरेश राम की नग्न तस्वीरें छपने के कारण उनका सपना खत्म हो गया. उस मैगजीन की एडिटर इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी थीं.
इस सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद सुरेश राम ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ सुषमा से शादी कर ली. 1986 में उनकी मौत के बाद जगजीवन राम के परिवार ने सुषमा से किनारा कर लिया.
राजीव गांधी के न्यौते पर मीरा कुमार कांग्रेस में शामिल हुईं. 1985 में हुए चुनाव में उन्हें यूपी की बिजनौर सीट से लड़ाया गया. रामविलास पासवान और मायावती को हराकर मीरा ने पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया. पिता की मौत के बाद उनकी बनाई पार्टी कांग्रेस जे भी खत्म हो गई.
1989 में मीरा कुमार पिता की सीट सासाराम (बिहार) पर चुनाव लड़ने पहुंची लेकिन जनता दल के छेदी पासवान से हार गई. फिर अगले दो चुनाव 1996 और 1998 दिल्ली की करोल बाग सीट से लड़ीं और जीतीं. 1999 में मीरा बीजेपी की अनीता आर्या से यहां हार गईं.
2004 में मीरा कुमार सासाराम से तीसरी बार अपनी किस्मत आजमाने पहुंचीं, तो रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट और सिटिंग एमपी बीजेपी के मुन्नी लाल मीरा कुमार के विरोध में उनकी भतीजी मेधावी कीर्ति को लाए. बावजूद इसके मीरा कुमार पहली बार ढाई लाख के अंतर से पिता की सीट से चुनाव जीतीं. फिर वह मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री बनीं.
2009 में देश की पहली और दूसरी दलित महिला स्पीकर के तौर पर मीरा कुमार का नाम इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हुआ. इससे पहले टीडीपी के जीएमसी बालयोगी इस पद तक पहुंचे थे. मगर प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी.
मीरा कुमार को कविताएं लिखना और पढ़ना पसंद हैं. उनकी फेवरिट बुक कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम है. अक्सर साड़ी में नजर आने वाली मीरा कुमार को हैंडिक्राफ्ट और टैक्सटाइल पसंद है. इस छवि के उलट मीरा पिस्टल शूटिंग और हॉर्स राइडिंग का भी शौक रखती है.