इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी का नाम तो सभी को पता है लेकिन हम आपको बताते हैं नेहरू परिवार की एक और ऐसी महिला के बारे में, जिसने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी.
इनका नाम है विजयलक्ष्मी पंडित. पंडित जवाहरलाल नहेरू की बहन. ये देश की पहली महिला मंत्री थीं. इन्हें 1937 में ही ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री का पद मिल गया था.
नेहरू से 11 साल छोटी थीं. इलाहाबाद से पढ़ाई शुरू की. बाद में गांधी और नेहरू के साथ स्वतंत्रता संग्राम में लड़ीं. पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में अखबार चलाते थे The Independent. 1919 में इस अखबार के एडिटर के लिए उन्होंने सैय्यद हुसैन नाम के लड़के को बुलाया.
हुसैन के बारे में कम लोग जानते हैं. पर अपने समय में हुसैन जैसा बोलने वाला कोई था नहीं. इन्होंने अमेरिका में जाकर गांधी के ऊपर लिखकर और लेक्चर देकर इंडिया का डंका बजा दिया था. फिर वही हुआ. खबरों की मानें तो 19 की विजया और 31 के हुसैन को एक-दूसरे के प्रति आकर्षण हुआ. पर नेहरू परिवार इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया. ठीक उसी तरह जैसे इंदिरा-फिरोज के रिश्ते को नेहरू ने नकार दिया था.
1922 में हुसैन ने इलाहाबाद छोड़ दिया. हुसैन गांधी के भक्त थे. और गांधी ने
खिलाफत आन्दोलन का प्रवक्ता बनाकर हुसैन को इंग्लैंड भेज दिया. पर अफवाह
उड़ती रहती कि दोनों ने शादी कर ली है.
फिर विजया की शादी कर दी गई महाराष्ट्र के एक ‘ब्राह्मण’ से. जो तीन बच्चों के बाद 1944 में दुनिया छोड़ गए. पर ये खबरें आती रहीं कि हुसैन से जवाहरलाल नेहरू का रिश्ता ख़त्म हुआ नहीं था. नेहरू ने हुसैन को मिस्र का राजदूत बनाकर भेज दिया.
खबरें आती रहीं कि विजया-हुसैन एक-दूसरे को भूल नहीं पाए थे. इस दौरान विजया भी कई जगह भारतीय राजदूत के तौर पर नियुक्त रहीं. कहा जाता है कि दोनों अक्सर मिलते थे. उस समय इंटरनेशनल मीडिया में इस बात की बड़ी चर्चा होती थी.
हुसैन की मौत मिस्र में ही हुई. उनके नजदीकी लोग कहते थे कि हुसैन एक टूटे हुए दिल के साथ मरे थे. विजया अक्सर उनकी कब्र पर फूल चढ़ाने जाती थीं.