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जिस बेटी का वसीयत में नहीं था नाम, उसे करोड़ों की प्रॉपर्टी में मिला हक

जिस बेटी का वसीयत में नहीं था नाम, उसे करोड़ों की प्रॉपर्टी में मिला हक
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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फरीदकोट के स्वर्गीय राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 20 हजार करोड़ रुपये की प्रापर्टी पर उनकी बेटी अमृत कौर और दीपिंदर कौर को भी हक देने का फैसला किया है. इसी के साथ रॉयल संपत्तियों का 25 प्रतिशत हिस्सा उनकी मां महारानी महिंदर कौर को दिया जाएगा. आइए जानते हैं उनके परिवार के बारे में.

फोटो-अमृत कौर और दीपिंदर कौर
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संपति में एक महल, मनीमाजरा किला, मशोबरा (शिमला) की प्रॉपर्टी के अलावा बैंक में जमा धनराशि, ज्वेलरी, विंटेज कारों और इंडिया गेट के पास कोपरनिकस मार्ग पर स्थित फरीदकोट हाउस शामिल है. आपको बता दें, महारानी महिंदर कौर और उनकी बेटी दीपिंदर कौर की इस समय मौत हो चुकी है. संपत्ति का बंटवारा अब उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को मिलेगा.


फोटो- राजा हरिंदर सिंह बराड़
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कब हुई थी राजा की मौत

1989 में राजा हरिंदर सिंह बराड़ का निधन हो गया था. वह फरीदकोट के अंतिम राजा थे. उनकी शादी नरिंद्र कौर से हुई थी. उनकी  तीन बेटियां अमृत कौर, दीपिंदर कौर, महिपिंदर कौर और एक बेटा टिक्का हमोहिंदर था, जिसका 1981 में निधन हो गया था. वहीं महिपिंदर कौर की मृत्यु  2001 में हुई थी. दोनों ने शादी ने नहीं की थी. दीपिंदर कौर ने पश्चिम बंगाल के बर्दवान शाही कबीले के महाराजा सादे चंद महताब से शादी कर ली थी.

फोटो- फरीदकोट का राजमहल
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राजा हरिंदर की पत्नी महारानी नरिंदर कौर की 1986 में मृत्यु हो गई, जबकि उनकी मां राजमाता महिंदर कौर की 1991 में मृत्यु हो गई थी, राजा को सबसे ज्यादा सदमा अपनी बेटे की मौत से पहुंचा था, जिसके बाद उन्होंने अपनी संपत्ति की देख रेख के लिए महारावल कावाजी ट्रस्ट बनाया था और अपनी वसीयत लिखी थी.

फोटो- फरीदकोट का राजमहल
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इस ट्रस्ट का चेयरपर्सन दीपिंदर को बनाया गया और  महीपिंदर कौर को वाइस चेयरपर्सन बनाया गया. बता दें, दीपिंदर की मृत्यु के बाद उनके बेटे जय चंद महताब को हाल ही में ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया है. दीपिंदर ने 1952 में हरिंदर द्वारा हस्ताक्षरित एक अन्य वसीयत का भी दावा किया था, अमृत कौर को अपनी इच्छा के खिलाफ विवाह करने के लिए  पिता ने अपनी संपत्ति से निकाल दिया था. 


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फरीदकोट संपत्ति पर अधिकार का दावा करने वाला पहला मुकदमा राजा हरिंदर के छोटे भाई, कंवर मंजीत इंदर सिंह बराड़ ने अप्रैल 1992 में दायर किया था. उन्होंने कहा था अगर किसी राजा की मृत्यु हो जाती है और उनके बेटे की भी मुत्यु हो जाती है तो ऐसे में शाही परिवार के सबसे बड़े जीवित पुरुष सदस्य को संपत्ति विरासत में मिलनी चाहिए.

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दूसरी ओर 1992 में अमृत कौर ने अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था. उन्होंने कहा एकलौते बेटे के खोने के कारण पिता "मानसिक रूप" से परेशान थे. वहीं पिता को उसे "पैतृक" संपत्ति से बेदखल करने का कोई अधिकार नहीं था. उन्होंने अपील की थी कि या तो संपत्ति को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार तीन समान भागों में विभाजित किया जाए या उन्हें अकेले फरीदकोट के एस्टेट अधिनियम, 1948 के अनुसार पूरी संपत्ति मिल जाए.


फोटो- अमृत कौर

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2013 और 2018 में, चंडीगढ़ में दो निचली अदालतों ने अमृत के पक्ष में आंशिक रूप से फैसला सुनाया था.  जिसमें अमृत कौर को पिता की संपति में हिस्सा देने की बात कही थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि अमृत और उसके बहन दीपिंदर के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाए. बता दें, तीसरी बहन का निधन हो चुका है. वहीं राजा के भाई  मंजीत इंदर सिंह के दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था.

फोटो- अमृत कौर परिवार के साथ
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कितनी है राजा की संपत्ति

*Rajmahal, Faridkot: फ्रांसीसी शैली में बना 37 कमरों का एक महल, जो 10 एकड़ में फैला है, जिसमें दो स्विमिंग पूल, एक पुस्तकालय, एक  चैरिटेबल अस्पताल और इसके परिसर में एक गुरुद्वारा है.

*Qila Mubarak, Faridkot: 1898 तक शाही परिवार का आधिकारिक निवास, इसके 14 एकड़ में एक शीश महल, दरबार हॉल, मोती महल, एक गुरुद्वारा, तोशा खाना, शांत महल और विंटेज वाहन गैलरी  है.

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दिल्ला से लेकर शिमला तक है संपत्ति

* Faridkot House, Copernicus Marg, नई दिल्ली
* Faridkot House, Nyaya Marg, नई दिल्ली
* Mashobra House, शिमला
* Stables in Faridkot: 4 एकड़
* Surajgarh Fort, Manimajra
* Air Field, Faridkot, Gemini Aircraft के साथ.
* vintage vehicles — Rolls Royce कारें.
* Heirloom jewellery
* हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जमीन

फोटो-  फरीदकोट का राजमहल
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