ऐसे बने प्रेरक वक्ता
वो कहते हैं कि मैं अपनी स्पीच समसामयिक रखता हूं. मिसालें, भाषा, कहानियां मॉडर्न समाज के साथ कनेक्ट करने वाली इस्तेमाल करता हूं. इसे प्रासंगिक बनाता हूं, स्पीच में हास्य होना चाहिए. सच कड़वा होता है, सच बताना सर्जरी करने जैसा होता है और हास्य एनेस्थेसिया का काम करता है जिससे दर्द कम होता है.
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