जम्मू-कश्मीर ने सोमवार को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की है. जम्मू कश्मीर की नागरिकता हासिल करने के लिए डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी करने की ये प्रक्रिया नये नियमों पर आधारित है. गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट का होना पहली शर्त है. आइए जानें- क्या हैं ये नये नियम, क्यों हो रहा इनका विरोध और स्वागत.
नये नियम में व्यवस्था की गई है कि अगर कोई व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का रहने
वाला है और अपरिहार्य कारणों से राज्य से विस्थापित हो गया था और उसने अबतक
अपने आप को राज्य प्रशासन के पास प्रवासी के तौर पर
पंजीकृत नहीं कराया है. ऐसी स्थिति में वो डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाने के लिए अपना
रजिस्ट्रेशन करा सकता है.
नए डोमिसाइल नियम में ये भी प्रावधान है कि जिसने भी राहत और
पुनर्वास कमिश्नर के पास खुद को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के
प्रवासी के रूप में रजिस्टर्ड कराया है वो जम्मू-कश्मीर का डोमिसाइल माना
जाएगा.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत अधिकार और जम्मू-कश्मीर नागरिक सेवा अधिनियम, 2010 के नियमों के अंतर्गत ये डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी होगा. डोमिसाइल प्रमाणपत्र के आवेदन के लिए प्रारूप भी जारी कर दिया गया है. डोमिसाइल प्रमाणपत्र के लिए जो भी व्यक्ति तय शर्तें पूरी करेगा, उसे सक्षम प्राधिकारी प्रमाणपत्र देंगे.
जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे या फिर प्रदेश से 7 साल तक पढ़ाई करने वालों को प्रमाणपत्र जारी होगा. लेकिन इसमें भी शर्त रखी गई है कि संबंधित व्यक्ति ने जम्मू-कश्मीर के शिक्षण संस्थानों से दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा भी दी हो.
डोमिसाइल के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन या ऑफलाइन निर्धारित फॉर्म भरकर जमा करना होगा. इसमें नाबालिग या दिव्यांग लोगों के मामले में नियम अलग हैं. नियम के अनुसार उनके अभिभावक आवेदन कर सकेंगे.
पहले जहां ये प्राविधान था कि जम्मू कश्मीर की बेटियां अगर राज्य से बाहरी व्यक्तियों से शादी करती थीं तो उनकी नागरिकता छिन जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब उनकी और उनके बच्चों को भी राज्य की स्थायी नागरिकता मिलेगी.
पिछले 73 साल से जम्मू में रह रहे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और 1947 में पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू कश्मीर से आए 5300 परिवार जिनकी संख्या भी अब एक लाख से ज्यादा है, उन्हें भी राज्य की नागरिकता मिल जाएगी. इसके साथ ही वाल्मीकि समाज और राज्य में रह रहे गोरखा समुदाय को भी नए नागरिकता कानून के तहत रखा गया है. बता दें कि पहले उन्हें पंचायत में वोट करने का अधिकार नहीं था. फिलहाल पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस इस नये लॉ का विरोध कर रही हैं, वहीं भाजपा इसकी तारीफ कर रही है.