हालांकि, अकेले भारत के ग्रामीण हिस्सों में स्थिति खराब नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है, "प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले सबसे अमीर 20 फीसदी घरों के छात्रों में से, आठ से 11 साल के बीच केवल 56 फीसदी बच्चे ही कक्षा 2 के स्तर का पैराग्राफ पढ़ सकते हैं."