आज यानी 15 अगस्त के दिन साल 1947 में भारत को आजादी मिली. आजादी के लिए ये खास दिन तय किया गया, जब लार्ड माउंटबेटन भारत को स्वतंत्र राज्य घोषित करने वाले थे. क्या आपको पता है कि भारत की आजादी
का दिन 15 अगस्त कैसे तय हुआ? इसे तय करने के पीछे के रोचक किस्से के बारे में जानें.
पाकिस्तान का निर्माण करके 14 अगस्त 1947 के दिन एक स्वतंत्र राष्ट्र बना दिया गया. लेकिन भारत को रात 12 बजे यानी 15 अगस्त के दिन आजादी मिली. भारत की आजादी पर लिखी गई बेहद चर्चित
किताब "फ्रीडम एट मिडनाइट" में इसका जिक्र है. इस किताब में लिखा है कि कैसे "माउंटबेटन ने कहा था-
'मैंने सत्ता सौंपने की तिथि तय कर ली है. ये तिथि है
15 अगस्त 1947."
जानें 15 अगस्त की तारीख तय होने की वजह
ये भारत के आजाद होने से करीब ढाई महीने पहले का
किस्सा है. जब लॉर्ड माउंटबेटन महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे
के लिए मना चुके थे. और सारी चीजें उनके पक्ष में हैं.
ऐसे में लॉर्ड माउंटबेटन एक प्रेस कॉफ्रेंस करते हैं जिसमें
वह बताते हैं कि किस तरह से करोड़ों लोगों का विस्थापन
होगा और किस तरह से भौगौलिक आधार पर दोनों मुल्कों
( पाकिस्तान और भारत) को बांटा जाएगा.
ये सब जानकारी जनता से साझा करने के लिए लॉर्ड
माउंटबेटन ने देश में एक बड़ी प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. इसमें देश और दुनिया के तमाम नामी पत्रकार शामिल हुए. इसी समय भारत की आजादी की घोषणा की गई. लेकिन इस दिन तिथि तय नहीं की गई थी.
प्रेस कांफ्रेंस के अंतिम चरण में एक
पत्रकार ने माउंटबेटन से पूछा कि जब आप
अभी से भारत को सत्ता सौपें जाने वाले समय तक के
कार्यों में तेजी लाने की बात कर रहे हैं तो क्या आपने वो
तिथि तय की है जब भारत को सत्ता सौपीं जाएगी? इस पर माउंटबेटन ने कहा कि हां यकीनन ये दिन तय हो गया है. इसके
बाद पत्रकार ने पूछा कि आखिर वो दिन है कौनसा"?
तो माउंटबेटन कुछ भी जवाब नहीं दे पाते. दरअसल
उन्होंने कोई भी तिथि तय नहीं की थी.
ऐसे में पूरे सभागार में सन्नाटा छा गया. हर कोई वो तारीख जानने के लिए बेताब था जब उनका वतन आजाद होगा और वो एक आजाद भारत के नागरिक कहलाएंगे. ये लम्हा सबके लिए खास हाेने वाला था. माउंटबेटन सोच रहे थे कि वो आखिर कौन सा दिन बताए. तिथि को लेकर उन्होंने काफी सोच विचार किया. दिमाग में तमाम तिथियां भी घूमी. कभी वह
सोचते सितंबर के बीच में, सितंबर अंत में या 15
अगस्त के बीच में.
बताते हैं कि जब लॉर्ड माउंटबेटन तमाम तिथियों के बारे में सोच रहे
थे. तभी एक तिथि उनके दिमाग में अटक गई. ये तिथि
थी 15 अगस्त 1947.
इसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन ने उत्साह से कहा "मैंने तिथि तय कर ली है
और ये तिथि है 15 अगस्त 1947". इसी के साथ वह दिन तय हो जाता है जब भारत को
अंग्रेजों की सैकड़ों साल की गुलामी से आजादी मिलने वाली थी.
ज्योतिषियों ने जताई निराशा
जब ये बात देश की ज्योतिषियों को पता चली कि 15 अगस्त को देश
आजाद होने वाला है तो उनमें हड़कंप मच गया. वह इस तारीख का जबरदस्त
विरोध करने लगे. दरअसल 15 अगस्त को शुक्रवार था और ज्योतिषियों का मानना
था यदि इस दिन भारत आजाद होता है तो कोहराम मच जाएगा. नरसंहार होंगे. ये बहुत
ही अपशकुन है.
कलकत्ता (कोलकाता) के संत ने तो लॉर्ड माउंटबेटन को चिट्ठी लिख डाली
और कहा कि आप 15 अगस्त को तय की भारत की आजादी की तिथि को बदल दें. या आप
ये तिथि आगे या पीछे कर दें. लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन नहीं माने. लॉर्ड माउंटबेटन का 15 अगस्त की तारीख पर अड़े रहने का एक खास कारण था. ये
कारण था जब माउंटबेटन बर्मा में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व कर रहे थे, तब
जापान ने उनके सामने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण किया था.
आपको बता दें, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन ही
जापान ने ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था. लॉर्ड माउंटबेटन उस समय
ब्रिटिश सेना के कमांडर थे.