बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में इस्लाम और राष्ट्र को खतरे में बताते हुए लाखों मुस्लिम इकट्ठे हुए हैं. ये लाखों मुसलमान इमारत शरिया और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के संयुक्त ऐलान के बाद यहां जुटे हैं. आइए जानते है क्या है ये इमारत शरिया जिसके बुलावे पर लाखों मुसलमान एक जगह जुट गए. (सारी तस्वीरें गांधी मैदान की हैं.)
इमारत-ए-शरिया मुसलमानों को कलमे की बुनियाद पर और शरीयत के तहत संगठित और अनुशासित करने के उद्देश्य से काम कर रहा है. यह संगठन आज से नहीं बल्कि आजादी के पहले साल 1921 से ही मुसलमानों को एकजुट करने के लिए कार्य कर रहा है.
यह संगठन बिहार, झारखंड, ओडिशा के मुस्लिमों को शरिया के तहत आने वाले मुद्दों को समझाने के लिए बनाया गया था. यह संगठन पैगंबर मोहम्मद की सुन्नत को अपना पथ-प्रदर्शक मानता है और 86 सालों से काम कर रहा है.
इसका उद्देश्य समाज में ऐसा माहौल कायम करना है, जिससे लोगों का ध्यान धर्म की ओर केंद्रित हो और मुसलमानों को पारिवारिक हकों व सामाजिक कर्तव्यों की जानकारी देना और धर्म का रास्ता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
इसकी तीन प्रमुख कमेटियां हैं, जिसमें मजलिस-ए अरबाब-ए-हल्लोअक्द, मजलिस-ए-शूरा, मजलिस-ए-आमला शामिल हैं. यह संगठन धर्म को संगठित करने के प्रयास करने के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम कर रहा है.
संगठन के माध्यम से आधुनिक शिक्षा से वंचित रहने वाले मुस्लिम लोगों को शिक्षा और मरीजों के इलाज के लिए हॉस्पिटल की व्यवस्था भी की जाती है. साथ ही यह संगठन बाढ़-भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी लोगों की मदद करता है.
इमारत-ए-शरिया ने तीन तलाक के मुद्दे पर भी विरोध किया था और कहा था कि इस्लाम के कानूनों में बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.