अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे. साथ ही वह विदेश मंत्रालय को आदेश देंगे कि अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानातंरित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए. आइए जानते हैं येरूशलम से जुड़ी खास बातें और क्यों यह शहर इतना खास है...
इस्राइल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बताते हैं. ट्रंप इस फैसले पर विचार कर ही रहे थे, उसी दौरान पश्चिम एशिया समेत दुनियाभर के नेताओं ने दशकों पुरानी अमेरिकी नीति से विचलन को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी.
बता दें कि भूमध्य सागर और मृत सागर के बीच इस्राइल की सीमा पर बसा येरूशलम एक शानदार शहर है. इस मृत सागर में काफी मात्रा में नमक है और कहते हैं कि यहां के पानी में इतना नमक है कि इसमें किसी भी प्रकार का जीवन नहीं पनप सकता.
मध्यपूर्व का यह पुराना शहर यहूदी, ईसाई और मुसलमान का संगम स्थल है. तीनों धर्म के लोगों के लिए इसका महत्व है, इसीलिए यहां पर सभी अपना कब्जा बनाए रखना चाहते हैं. पहले भी इस शहर के लिए कई लड़ाई लड़ी गई है.
ये चारों ओर पत्थर की दीवारों से घिरा है और यहां कुछ ऐसी जगहें हैं, जिन्हें दुनिया के पवित्रतम स्थलों में शुमार किया जाता है. इसका हर हिस्सा अपनी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है.
ईसाइयों के लिए क्यों है खास- शहर के ईसाई हिस्से में पवित्र सेपुलकर चर्च है, जो दुनियाभर के ईसाइयों के लिए खास है, ये ऐसी जगह है, जो ईसा मसीह गाथा का केंद्र है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, माना जाता है कि ईसा को यहीं सूली पर लटकाया गया था, इसे कुछ लोग गोलगोथा कहते हैं. उनका स्तंभ सेपुलकर में अंदर है, यहीं वो जगह भी है जहां ईसा फिर जीवित हो गए.
ये दुनियाभर के लाखों ईसाइयों का मुख्य तीर्थस्थल है, जो ईसा के खाली मकबरे की यात्रा करते हैं और यहां प्रार्थना करके उद्धार और सुख की कामना करते हैं.
मुसलमानों के लिए क्यों है खास- मुस्लिम हिस्सा चारों में सबसे बड़ा है और इस क्षेत्र में पवित्र गुंबदाकार 'डोम ऑफ रॉक' यानी कुब्बतुल सखरह और अल-अक्सा मस्जिद है. यह एक पठार पर स्थित है जिसे मुस्लिम हरम अल शरीफ या पवित्र स्थान कहते हैं.
ये मस्जिद इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह है. मुसलमान मानते हैं कि पैगंबर अपनी रात्रि यात्रा में मक्का से यहीं आए थे और उन्होंने आत्मिक तौर पर सभी पैगंबरों से दुआ की थी. कुब्बतुल सखरह से कुछ ही की दूरी पर एक आधारशिला रखी गई है जिसके बारे में मुसलमान मानते हैं कि मोहम्मद यहीं से स्वर्ग की ओर गए थे.
यहूदियों के लिए क्यों है खास- यहूदियों का मानना है कि यहां कभी पवित्र मंदिर खड़ा था, ये दीवार उसी बची हुई निशानी है. यहां मंदिर में अंदर यहूदियों की सबसे पवित्रतम जगह 'होली ऑफ होलीज' है.
यहूदी मानते हैं यहीं पर सबसे पहली उस शिला की नींव रखी गई थी, जिस पर दुनिया का निर्माण हुआ, जहां अब्राहम ने अपने बेटे इसाक की कुरबानी दी. यहूदी दुनिया में कहीं भी हों, यरुशलम की तरफ मुंह करके ही उपासना करते हैं.