कोरोना काल की बड़ी मुसीबतों के बीच टिड्डीदलों का हमला भी किसानों के लिए मुसीबत बन रहा है. ये टिड्डीदल किसानों की फसलों को पूरी तरह चट कर जाता हैं. मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान तक ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि ये टिड्डीदल किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने में जुटे हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों में, राजस्थान के शहरी इलाकों में टिड्डियों के झुंड देखे गए हैं, जो असामान्य हैं. आइए जानें शहरी इलाकों में इनके आगमन का मतलब और इससे क्या फर्क पड़ने वाला है.
मध्य प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा टिड्डी दलों की चपेट में है. यहां पर मूंग की दाल की पौधों को टिड्डी दल चट करने में लगे हुए हैं. इसके अलावा, फलों और सब्जियों की नर्सरियों को भी वे साफ कर रहे हैं. यही नहीं मिर्च और कपास की फसल पर भी उनके टूट पड़ने का खतरा है.
पर्यावरण विषयों पर अध्ययन करने वाले संजय कुशवाहा का कहना है कि ऐसा माना जा रहा है कि यह बीते 27 सालों में टिड्डी दलों का सबसे खौफनाक हमला है और इससे आठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
टिड्डी दल अपने सामने आने वाली हर हरी चीज को खाने का दम रखते हैं. पेड़-पौधों की की हरी पत्तियों, कोंपलों और नई डालों तक को वे खा डालती हैं.
उन्होंने कहा कि अगर ये शहर की ओर बढ़ने लगे तो ये शहर के इको सिस्टम को पूरी तरह बिगाड़ सकते हैं. फिर चाहे वो बॉलकनी के गमलों की हरियाली हो या पार्कों की ताजगी, ये सब पर हमला बोल सकते हैं.
पर्यावरण विद बताते हैं कि एक कीड़ा हर दिन अपने वजन के बराबर भोजन करता है और उनके हमले में हरे-भरे पेड़ खोखले हो जाते हैं. यह पहले ही कहा जा चुका है कि टिट्डी दलों की समस्या जलवायु संकट से उपजी समस्या है इसलिए इसके दूरगामी समाधान की जरूरत है. फिलहाल तात्कालिक तौर पर भी इस पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है.
बता दें कि हाल ही में ऐतिहासिक रूप से मशहूर शहरों जैसे जयपुर, एमपी के ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर से जुड़े क्षेत्रों में, और महाराष्ट्र के अमरावती, नागपुर और वर्धा के खास इलाकों में टिड्डे दल देखे गए. ये एक बड़ी आहट के साथ चेतावनी भी है.
Locust Warning Organization (LWO) के उप निदेशक के एल गुर्जर के इंडियन एक्सप्रेस में छपे बयान के अनुसार खेतों में कोई फसल नहीं है, अब टिड्डे हरे आवरण में ढके राज्यों की ओर आकर्षित होकर चले गए हैं. उन्हें इसमें उच्च गति वाली हवा से वहां पहुंचने में ज्यादा मदद मिली. इसी तरह उन्होंने जयपुर के लिए अपना रास्ता बनाया.
गुर्जर ने आगे कहा कि वर्तमान में, राजस्थान में तीन से चार टिड्डी दल हैं, वहीं मध्य प्रदेश में एक से तीन दल थे जिनमें से एक छोटा समूह महाराष्ट्र में चला गया है. उन्होंने कहा कि लेकिन इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल नहीं होगा. इसके लिए प्रशासन को पूरा प्रयास करना चाहिए.