सोशल मीडिया आज हम सबके जीवन में बहुत मायने रखता है. कई ऐसे भी लोग हैं जो किताबों की बजाय इसी माध्यम से बहुत कुछ सीखकर कुछ बड़ा कर जाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिसने यूट्यूब की मदद से खुद की एक छोटी सी कंपनी शुरू की है. ईस्ट गारो हिल्स के विलियमनगर के रहनेवाले दिलसेंग संगमा मेघालय के एक दूर
दराज गांव में छोटी सी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट चलाते हैं.
उनकी यह फैक्ट्री
कई मायनों में आज के अन्य फैक्टरियों से अलग है. वह इसलिए क्योंकि इस
फैक्ट्री में दिलसेंग डिस्पोजेबल प्लेट्स और बाउल्स (कटोरे) की
मैन्यूफैक्चरिंग करते हैं.
मेघालय के जंगलों में सुपारी की फसल उगाई जाती है. दिलसेंग इसी सुपारी के फसल के पत्ते का इस्तेमाल डिस्पोजेबल प्लेट्स और बाउल्स बनाने के लिए करते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे यूट्यूब बना उनका गुरु.
दिलसेंग ने बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि साल 2015 में जब उन्हें यह आइडिया आया तो उन्होंने अपने दोस्तों और कजिंस से बात की. उनके दोस्त और एक सरकारी
अफसर ने उन्हें यूट्यूब पर डिस्पोजेबल प्लेट्स बनाने के वीडियोज देखने की सलाह दी. दो साल बाद जून 2018 में उन्होंने ईस्ट गारो हिल्स में स्थित एक दूरवर्ती गांव वाजाडोरेनसरम में छोटी सी इंडस्ट्री शुरू की. आज यहां रोज 250 से 300 प्लेट्स और बाउल्स बनाए जाते हैं.
दिलसेंग ने बताया कि वे गांव में इधर-उधर गिरे सुपारी के पत्ते इकट्ठा करते हैं. फिर उन्हेें धोकर साफ करते हैं. धोने के बाद पत्तों को कुछ दिनों के लिए सुखाया जाता है.उसके बाद इन्हें प्रेस मशीन में प्लेट्स का आकार दिया जाता है. जहां एक प्रकार के डाई से सुखे पत्तों को पूरी फिनिशिंग दी जाती है.
उन्होंने बताया कि आज बाजार में इन डिस्पोजेबल प्लेट्स की बहुत डिमांड है लेकिन उनके पास केवल एक मशीन और सीमित डाई.है. वह अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं पर इसके लिए उन्हें और मशीनों की जरूरत है. दिलसेंग ने बताया कि अगर वे अपने बिजनेस को बढ़ा पाएं तो इससे वे अपने गांव के लोगों को रोजगार दे सकते हैं. वे अपने गांव को विकसित गांव बनाना चाहते हैं. इसके अलावा वे स्टूडेंट्स की भी मदद करना चाहते हैं जो उन्हें पत्ते इकट्ठा करने में मदद करते हैं.
दिलसेंग के इस आइडिया की मदद के लिए ईस्ट गारो हिल्स के डिप्टी कमिशनर स्वप्निल तेंबे ने भी हाथ बढ़ाया है. बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उनके कैंटीन में इन डिस्पोजेबल प्लेट्स में खाना परोसा जाता है. जब उन्हें पता चला कि ये प्लेट्स उन्हीं के जिले में बनाए जात हैं तो उन्होंने दिलसेंग की मदद करने की सोची.
उन्होंने बताया कि मार्केट में इस तरह के डिस्पोजेबल्स की बहुत मांग है. पोटेंशियल क्लाइंट्स 50,000 से लेकर एक लाख प्लेट्स चाहते हैं. दिलसेंग की कंपनी अभी नई है और उसके पास इसे बनाने के लिए और मशींस नहीं है. लेकिन वे सरकारी योजनाओं के तहत दिलसेंग को उसके बिजनेस को बढ़ाने में मदद करेंगे. इससे सेल्स और रोजगार बढ़ेगा.
दिलसेंग की कंपनी अभी नई है और उसके पास इसे बनाने के लिए और मशींस नहीं
है. लेकिन वे सरकारी योजनाओं के तहत दिलसेंग को उसके बिजनेस बढ़ाने में मदद
करेंगे. इससे सेल्स और रोजगार बढ़ेगा.
दिलसेंग की यह शुरूआत युवाओं के लिए प्रेरणा है. लेकिन कितने लोग उनकी मदद के लिए आगे आएंगे यह तो समय ही बताएगा. फिलहाल उनका यह नेक काम लोगों को रोजगार देने के साथ साथ पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है.
(Photo: Facebook/Deputy Commissioner East Garo Hills)