जब अनु अपने बेटे को छोड़कर पढ़ाई करने के लिए मासी के घर गई थी तो उस दौरान कई लोग बातें बनाते थे. अक्सर कहते 'इसके अंदर दिल नहीं है, ये पत्थर की बनी है जो अपने बेटे को छोड़कर आ गई'.
ये सभी बातें सुनने के बावजूद भी अनु को परिवार का पूरा सपोर्ट मिला, जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि दूसरी रैंक हासिल की.