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एजुकेशन

सबसे अच्छे नंबर पा क्लर्क की बेटी बनी DSP, इसलिए चुनी ये पोस्ट

MPSC: सबसे अच्छे नंबर पाकर क्लर्क की बेटी बनी DSP, इसलिए चुनी ये पोस्ट
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हाल ही में घोषित महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) में च‍यनित सविता गरजे ने पुलिस उपाधीक्षक (DSP) पद चुना है. MPSC के परिणामों में महिला श्रेणी में हाईएस्ट स्कोर पाने वाली सविता के इस पद का चुनाव करने के पीछे हिम्मत और हौसले की एक पूरी कहानी है. आइए जानें सविता की सक्सेस स्टोरी, कैसे एक क्लर्क पिता की बेटी ने ये मुकाम हासिल किया.

फोटो: अपने पूरे परिवार के साथ DSP सविता गरजे
MPSC: सबसे अच्छे नंबर पाकर क्लर्क की बेटी बनी DSP, इसलिए चुनी ये पोस्ट
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सविता के पिता बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) में क्लर्क के रूप में कार्यरत है. वो अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. सविता ने अपनी पढ़ाई के दौरान मुसीबत सामने देखकर लाइब्रेरी बदल-बदलकर पढ़ाई की. लेकिन उसने अपने माता-पिता को बताना इसलिए सही नहीं समझा, क्योंकि उसे डर था कि वो उनकी सुरक्षा के बारे में चिंतित होंगे.

फोटो: सविता गरजे
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सविता ने हाईएस्ट नंबर पाकर जान-बूझकर कर पुलिस अधिकारी बनना चुना. उनका कहना है कि महिलाओं के लिए 18 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद, 10 प्रतिशत से कम लड़‍कियां इसका विकल्प चुनती हैं.


(प्रतीकात्मक फोटो)
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सविता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में बराबरी के लिए लड़ती हैं, लेकिन जब टफ जॉब्स चुनने का वक्त आता है तो वो पीछे हो जाती हैं. मैंने अक्सर लोगों से सुना है कि अगर लड़कियां यूनीफार्म सर्विस चुनती हैं तो कई बार उन्हें अच्छा वर मिलना मुश्क‍िल हो जाता है.


(प्रतीकात्मक फोटो)
MPSC: सबसे अच्छे नंबर पाकर क्लर्क की बेटी बनी DSP, इसलिए चुनी ये पोस्ट
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सविता के इस चयन के पीछे पुणे में पढ़ाई के दौरान की प्रताड़ना की वो घटनाएं हैं जिन्होंने उनकी इस ख्वाहिश को और बल दिया. वो बताती हैं कि मुझे अपनी किताबों में चिट मिली, जब मैंने इसकी श‍िकायत की, मुझे ही उल्टा निशाना बनना पड़ा. मुझे इस बात का अहसास हुआ कि आज भी महिलाओं को इस तरह की समस्याओं के पीछे वजह माना जाता है. फिर आख‍िर में मुझे ही लाइब्रेरी बदलनी पड़ी. यहीं से मेरे मन में एक पुलिस अफसर बनने का ख्याल आया था.


(प्रतीकात्मक फोटो)
MPSC: सबसे अच्छे नंबर पाकर क्लर्क की बेटी बनी DSP, इसलिए चुनी ये पोस्ट
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वो बताती हैं कि ये सफर भी इतना आसान नहीं था. वो साल 2017 में यूपीएससी की तैयारी के लिए पुणे आ गईं. लेकिन घर से दूर पढ़ाई में 12 हजार प्रतिमाह का खर्च आ रहा था, जिसका वहन क्लर्क पिता के लिए पांच लोगों के खर्च के साथ मुमकिन नहीं हो पा रहा था. उनके पिता मारुति गरजे बेस्ट डिपो में रिकॉर्ड मेंटेन करने का काम करते हैं, उन्होंने साल 1994 में कंडक्टर के पद पर ज्वाइन किया था, वहीं से उन्होंने क्लर्क का डिपार्टमेंटल एग्जाम क्लियर किया.


(प्रतीकात्मक फोटो)
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उन्हें अपने पिता से ही प्रेरणा मिली थी जिसके बलबूते वो पढ़ाई में मजबूत हो रही थीं. लेकिन अपना खर्च निकालने के लिए पढ़ाई के साथ सप्ताह में तीन दिन ट्यूशन देने लगीं. इससे थोड़े से पैसे कमाकर एक सेकंड हैंड लैपटॉप भी खरीदा. अब राज्य की परीक्षा MPSC में सफल होने के बाद, सविता अभी भी विदेश सेवाओं (IFS) बनना चाहती हैं. इसके जरिये वो आसपास और समाज में महिलाओं के लिए प्रचलित धारणाएं बदलना चाहती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो)
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