आज से 10 साल पहले मुंबई में आतंकी हमले हुए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई. इस हमले के आरोप में पाकिस्तान के आतंकी अजमल कसाब को फांसी दी गई. कसाब को जिंदा पकड़ने के बाद चार साल तक उसे जेल में रखा गया था. 21 नवंबर, 2012 को ऑपरेशन एक्स के तहत उसे फांसी पर लटका दिया गया. भारत में ये पहला विदेशी था, जिसे फांसी पर चढ़ाया गया. आइए जानते हैं उस दिन कसाब की रात कैसे कटी थी और उसने क्या क्या किया था...
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कसाब को फांसी पर चढ़ाने की पूरी प्रक्रिया बेहद गोपनीय थी. उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल की "अंडा सेल" से पुणे की यरवडा जेल तक सुरक्षित पहुंचाने का जिम्मा मुंबई पुलिस के 17 अफसरों को सौंपा गया था. उसे बुर्के में जेल से शिफ्ट किया गया था.
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इस ऑपरेशन में शामिल सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने बताया कि पूरे ऑपरेशन में कुल सात कोड इस्तेमाल किए गए थे. इसमें से आख़िरी कोड था "Parcel reached Fox". यह इंग्लिश का एक फ्रेज है. यह कोड तब इस्तेमाल किओया गया जब फांसी से एक दिन पहले कसाब पुणे की जेल में शिफ्ट करा दिया गया.
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पीटीआई के मुताबिक इसके बारे में गृह मंत्री आरआर पाटिल और पुलिस के कुछ टॉप अफसरों को ही इसकी जानकारी थी.
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कसाब को मुंबई से पुणे लाने में कुल तीन घंटे लगे थे. शिफ्टिंग की इस पूरी यात्रा के दौरान कसाब ने एक भी शब्द नहीं बोला. वह पूरी तरह से चुप था.
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कसाब ने मरने से पहले आखिरी इच्छा नहीं जताई थी. पूछने पर उसने मना कर दिया था.
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सुबह फांसी से पहले आतंकी कसाब को नहलाया गया था.
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21 नवंबर की सुबह कसाब जल्दी उठ गया था, जिसके बाद उसने नमाज अदा की.
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कसाब को जब फांसी के बारे में बताया गया तो उसने इस खबर को अपनी मां तक पहुंचाने के लिए कहा था.
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फांसी पर लटकने से पहले आतंकी कसाब ने जेलर की मौजूदगी में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी और दोबारा ऐसी गलती न करने की बात भी कही.
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सुबह 7.30 बजे यरवडा जेल में कसाब को फांसी दे दी गई. इसके बाद उसका मेडिकल टेस्ट किया गया और डॉक्टरों ने कसाब को मृत घोषित कर दिया.
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बता दें कि कसाब को 80 अपराधों का दोषी पाया गया, जिनमें हत्या, भारत के खिलाफ जंग छेड़ना, हथियार रखने जैसे आरोप शामिल थे. जब वह पकड़ा गया तो उसके कब्जे से हथियार, गोला-बारूद, एक सैटेलाइट फोन और शिवाजी टर्मिनल का नक्शा मिला था.