करीब पांच लाख से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस और अन्य रसायनों के संपर्क में थे.
मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस हादसे में 3,787 लोगों के मरने की पुष्टि की थी. दूसरे अनुमान बताते हैं कि इस केमिकल हादसे में 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर हो गई थी और लगभग 8000 लोग गैस रिसने के बाद होने वाली बीमारियों से मारे गये थे.