अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट बनाने को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट बनाने का ऐलान किया. इस ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया है. आइए जानें- अयोध्या का पूरा इतिहास, साथ में ये भी कहां बनेगा राम मंदिर.
भारत में बाबर के शासन के बाद से धर्मनगरी अयोध्या विवादों में आ गई थी. इस विवाद को 500 साल हो चुके हैं. यहां कभी मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवाई गई थी. लेकिन, अयोध्या कुछ साल पहले की नहीं बल्कि इसे बसे हुए सदियां बीत गई हैं.
हिंदुओं के पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामायण में साफ कहा गया है कि अयोध्या सबसे पहले मनु ने बसाई थी. ये हिंदुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका इन पवित्र स्थलों में अयोध्या का भी नाम है. माना जाता है कि भगवान राम का जन्म आयोध्या में ही हुआ था. राम के पिता दशरथ तब यहां के राजा थे.
पारंपरिक इतिहास में, अयोध्या कोशल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी. गौतमबुद्ध के समय कोशल के दो भाग हो गए थे- उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी. बता दें, बौद्ध काल में ही अयोध्या के निकट एक नई बस्ती बन गई थी जिसका नाम साकेत था. बौद्ध साहित्य में साकेत और अयोध्या दोनों का नाम साथ-साथ भी मिलता है. जिससे दोनों के भिन्न अस्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है.
रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में ही किया गया है. पुराणों में इस नगर के संबंध में कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है. वहीं राम के जन्म के समय से यह नगर अवध (वर्तमान में अयोध्या) के नाम से जाना जाता है. मुगल शासन के बाद भी इस धर्मनगरी की पहचान नहीं मिटी. अयोध्या अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए जाना जाता रहा है. जहां गंगा-जमुनी तहजीब रही है.
अयोध्या में भगवान राम का जन्म स्थान है, यहीं पर बाबरी मस्जिद बनवाने के बाद विवादों ने जन्म ले लिया. इतिहास के अनुसार मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. इसी के पास रामलला की मूर्ति स्थापित थी. अब जो राममंदिर बनने जा रहा है, उसमें वो पूरा स्थान एकसाथ कवर होगा.
अयोध्या और साकेत दोनों नगरों को कई विद्वानों ने एक ही माना है. कालिदास ने भी रघुवंश में दोनों नगरों को एक ही माना है, जिसका समर्थन जैन साहित्य में भी मिलता है. कनिंघम ने भी अयोध्या और साकेत को एक ही नगर से समीकृत किया है.
वहीं इसके उलट विभिन्न-विभिन्न विद्वानों ने साकेत को भिन्न-भिन्न स्थानों से समीकृत किया है. आपको
बता दें, बौद्ध ग्रंथों में भी अयोध्या और साकेत को भिन्न-भिन्न नगरों के
रूप में प्रस्तुत किया गया है. वहीं वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कोशल
की राजधानी बताया गया है जिसके बाद संस्कृत ग्रन्थों में साकेत से मिला
दिया गया है.
अयोध्या घाट और मंदिरों की एक धर्मनगरी है. हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. आपको बता दें, रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है.
सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं. इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट,
कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय है. मंदिरों
में 'कनक भवन' सबसे सुंदर है. अब रामलला का मंदिर इन्हीं मंदिरों के साथ कराया जा रहा है. बुधवार को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की औपचारिक घोषणा की जा चुकी है. अब जल्द ही मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा.