आज जब कोरोना के दौरान देश भर में स्कूल-कॉलेज बंद हैं. शहरों में बच्चे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में ग्रामीण बच्चों को प्रॉपर शिक्षा नहीं मिल पा रही है. ऐसे कठिन समय में भारत-नेपाल बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां न सिर्फ अपनी सीमा ड्यूटी निभा रहे हैं, बल्कि बच्चों को पढ़ाकर अपना इंसानियत का फर्ज भी निभा रहे हैं. तस्वीरों में देखें...
(रिपोर्टः गणेश शंकर)
बिहार में नेपाल सीमा के रक्सौल अनुमंडल की सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल (SSB) की 71वीं बटालियन और APF पर है. कोरोना काल के दौरान अवैध आवाजाही रोकने के लिए इनकी तैनाती बढ़ा दी गई है. चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध और उसकी नेपाल के साथ नजदीकी के चलते सीमा की सुरक्षा का जिम्मा इनके कंधों पर है.
कोविड-19 के दौरान शिक्षण संस्थान बंद होने के बाद ऑनलाइन क्लासेज नहीं हो रही हैं. अब यहां गांव के नौनिहालों को मूलभूत शिक्षा ssb एव apf दे रही है. बिहार नेपाल सीमा के रक्सौल अनुमंडल के आदापुर प्रखंड के कोरेया गांव एवं बारा जिला नेपाल की सीमा से जुड़े ssb एवं apf के द्वारा सुरक्षा के साथ एक अनोखा प्रयास किया जा रहा है.
सीमा पर इलाके की सुरक्षा एजेंसियां सुरक्षा के साथ शिक्षा दे रही है, वह भी ऐसे बच्चों को जिसे ग्रामीण इलाको में अभिभावक शिक्षा देने से बचते हैं. आज ये बच्चे शिक्षा लेकर खुद अपने परिजन को शिक्षित कर रहे हैं. यहां तक कि कोविड के समय सभी बच्चे खुद कोविड के दिशानिर्देश का पालन करते हुए अपने अभिभावक को भी जागरूक कर रहे है.
बिहार-नेपाल सीमा के रक्सौल और बीरगंज को जोड़ने वाली सिरिसवा नदी अक्सर उफान पर आ जाती है. ऐसे में नदियों के किनारे रहने वालों का जीना दूभर हो जाता है. रक्सौल में बने एसएसबी के अस्थाई पोस्ट को भी नदी लगभग अपनी चपेट में ले लेती है. यहां रहने वाले लोगों के जीवन को यहां के सैनिक अकसर सुधारने की कोशिश में लगे रहते हैं.
बाढ़ और बारिश में यहां सेनाओं को सेवा देना मुश्किल हो जाता है. इसके बावजूद यहां जवान कोई भी अवैध कार्रवाई नहीं होने देते. इन सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से गुजरे बिना कोई परिंदा भी देश में घुस नहीं सकता. वहीं दूसरी तरफ ये अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी नहीं निभा रहे.