गणतंत्र दिवस पर जिन बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार दिया गया है, इनके
किस्से आपको हौसले के साथ प्रेरणा देने वाले हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
ने इन बच्चों को वीरता पुरस्कार से नवाजा है. भारतीय बाल कल्याण परिषद ने
इस साल 22 बच्चों को वीरता पुरस्कार दिया है. इनमें से केरल के कोझीकोड के रहने वाले
मुहम्मद मुहसिन ने समुद्र में बहते अपने दोस्तों को बचाने के लिए जान गंवा
दी. आइए जानते हैं ऐसे ही बहादुर
बच्चों की कहानी जिन्होंने जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाई.
15 साल के आदित्य ने पर्यटकों को बचाकर एक नजीर पेश की. हादसे के अनुसार ये
पर्यटक नेपाल की यात्रा से लौट रहे थे. भारतीय सीमा से करीब 50 किलोमीटर
पहले बस में आग लग गई. आग लगते ही ड्राइवर भाग गया. बस में 5 बच्चे और कई
बुजुर्ग यात्री बदहवास थे. बस के दरवाजे बंद थे, लेकिन आदित्य ने बहादुरी
का परिचय दिया और बस का पीछे का शीशा हथौड़े से तोड़ा. हुआ ये कि डीजल टैंक
के फटने से पहले सभी यात्री निकल गए.
आतंकियों से बचाई जान
बीते 24 अक्टूबर को कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के चौकीबल और तुमिना में पाकिस्तान ने
फायरिंग शुरू कर दी. 16 साल के मुगल उस वक्त घर में ही थे. उनके घर की पहली
मंजिल पर सीमा पार से एक गोला आकर गिरा. वो बाहर निकल आए, लेकिन तभी
उन्हें याद आया कि उनके पैरेंट्स और दो बहनें अभी अंदर ही हैं. वो तुरंत भीतर से अपनी दो बहनों को सुरक्षित निकालकर लाए. फिर माता-पिता को जगाकर लाए.
पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में असम के मास्टर कमल कृष्ण दास, छत्तीसगढ़ की कांति पैकरा और वर्णेश्वरी निर्मलकर, कर्नाटक की आरती किरण सेठ औरवेंकटेश, केरल के फतह पीके, महाराष्ट्र की जेन सदावर्ते और आकाश मछींद्र खिल्लारे हैं. इसके अलावा मिजोरम के तीन बच्चों और मणिपुर व मेघालय से एक एक बच्चों को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है.
22 बहादुर बच्चों में से 10 लड़कियों ने भी वीरता पुरस्कार पाया है. हिमाचल प्रदेश की अलाइका की कहानी भी कुछ ऐसी है. 13 साल की अलाइका ने एक हादसे से अपने माता, पिता और दादा की जान बचाई. अलाइका की मां सविता वो हादसा याद करके आज भी भावुक हो जाती हैं.
सविता ने बताया कि हम एक बर्थडे पार्टी में जा रहे थे. पालमपुर के पास
अचानक हमारी कार खाई में जाने लगी. इसे किस्मत कहें या संयोग कि कार एक पेड़ के तने से रुक गई. इस हादसे में हम सब बेहोश हो गए, लेकिन अलाइका सबसे पहले होश में आई और लोगों
को मदद के लिए बुलाया. अगर वो नहीं होती तो शायद आज हमारा परिवार ही न होता.
आतंकी हमले में मां और बहन को बचाया
आज भी व्हीलचेयर पर चलने को मजबूर सौम्यदीप को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से नवाजा. सौम्यदीप की कहानी भी बहादुरी भरी है. पिछले साल 27 फरवरी को भारतीय वायुसेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था. बडगाम में हुए इस हादसे के बाद मौके पर पहुंचने वाले लोगों में 18 साल के अशरफ भी थे. उन्होंने उस मलबे में एक व्यक्ति को जिंदा देखा. इसके बाद अपनी जान पर खेलकर घायल शख्स को निकाला. हालांकि उनकी जान नहीं बच सकी.