सारिका के जीवन में एक उम्मीद की किरण आई. जिसमें उन्हें पता चला कि वह सीए की परीक्षा घर पर बैठकर दे सकती हैं. जिसके बाद उन्होंने ठान लिया कि इस परीक्षा के लिए तैयारी करेगी.
जिस समय सीए की पढ़ाई की शुरुआत की, उस समय न तो उन्हें डेबिट समझ आता था न ही क्रेडिट. क्योंकि चार साल घर बैठने के बाद मैं पूरी तरह से अकाउंट भूल चुकी थी. लेकिन सारिका ने हार नहीं मानी थी.